WHO रिपोर्ट से भारत में बढ़ी चिंता: गर्म वातावरण में काम करने से गंभीर बीमारियों का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि लगातार गर्म वातावरण में काम करने से श्रमिकों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय तक उच्च तापमान में काम करने से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, किडनी फेल्योर, हाइपरथर्मिया और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे खतरनाक स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
भारत सबसे ज्यादा जोखिम में
यह रिपोर्ट भारत के लिए बेहद अहम है, क्योंकि यहां करीब 75% कार्यबल यानी लगभग 38 करोड़ लोग सीधे तौर पर गर्मी वाले कामकाज पर निर्भर हैं।
- बीते 5 वर्षों में भारत में लू (Heatwave) से 3798 लोगों की मौत दर्ज की गई।
- महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार सबसे प्रभावित राज्य रहे।
- असंगठित क्षेत्र (ईंट भट्टे, निर्माण, कृषि, मछली पकड़ना) के मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तामोरिश कोले ने कहा कि भारत उन देशों में से एक है, जो आने वाले दशकों में ताप-तनाव (Heat Stress) से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। इसका असर न केवल लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर पड़ेगा, बल्कि रोज़गार और GDP पर भी बुरा प्रभाव डालेगा।
WHO के अनुसार, हीट स्ट्रोक से लंबे समय तक अंगों को नुकसान, मानसिक स्वास्थ्य पर असर, थकान, चिड़चिड़ापन और कामकाज की क्षमता में कमी हो सकती है।
सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र
- कृषि और निर्माण कार्य
- ईंट भट्टे व खनन
- धूप में लंबे समय तक मजदूरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिन के सबसे गर्म घंटों में बाहर काम करना जानलेवा साबित हो सकता है, क्योंकि इस दौरान तापमान सुरक्षित सीमा से 2-3 डिग्री तक ज्यादा रहता है।
आर्थिक खतरा भी बड़ा
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुमान के अनुसार, 2030 तक भारत ताप से होने वाली उत्पादकता हानि का सबसे बड़ा बोझ झेलेगा, जो करोड़ों नौकरियों के बराबर होगा।
समाधान क्या है?
विशेषज्ञों ने रोकथाम के लिए कई उपाय सुझाए हैं:
- आराम-कार्य चक्र और छायादार जगह
- ठंडे घंटों में काम
- पानी पीने की व्यवस्था और हल्के कपड़े
- मशीनीकरण और बेहतर वेंटिलेशन
- संदिग्ध मामलों में तुरंत ठंडा करने की प्रक्रिया (Rapid Cooling)
निष्कर्ष
WHO की रिपोर्ट भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी है। बढ़ते तापमान के कारण न केवल स्वास्थ्य बल्कि रोज़गार और अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा संकट मंडरा रहा है। समय रहते नीतिगत कदम और कार्यस्थल सुधार जरूरी हैं, वरना आने वाले वर्षों में भारत को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।