MGNREGA का नाम बदलने के खिलाफ कांग्रेस का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, 17 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर आंदोलन
नई दिल्ली/देहरादून। ग्रामीण रोजगार योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदले जाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। कांग्रेस 17 दिसंबर को देशभर के जिला मुख्यालयों पर और 28 दिसंबर को गांव-गांव जाकर इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन करेगी। पार्टी का कहना है कि यह आंदोलन लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की उस राजनीति को जनता तक ले जाने का माध्यम होगा, जो गरीबों और ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने सभी प्रदेश कांग्रेस इकाइयों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा में मनरेगा का नाम बदलने के लिए पेश किए गए विधेयक का भी कड़ा विरोध किया। खास बात यह है कि यह विरोध कार्यक्रम कांग्रेस के स्थापना दिवस के आसपास आयोजित किया जा रहा है, जिससे इसे और अधिक प्रतीकात्मक महत्व मिल गया है।
कांग्रेस की रणनीति के तहत 17 दिसंबर को प्रदेश और जिला स्तर के नेता जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे, जबकि 28 दिसंबर को पार्टी कार्यकर्ता गांवों में जाकर आम लोगों से संवाद करेंगे। इसका उद्देश्य ग्रामीण मतदाताओं को उस ‘काम के अधिकार’ की याद दिलाना है, जो यूपीए सरकार के कार्यकाल में मनरेगा के माध्यम से उन्हें मिला था।
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि एनडीए सरकार ने शुरुआती दौर में मनरेगा योजना को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाली बताते हुए उसका मजाक उड़ाया था, लेकिन बाद में यही योजना ग्रामीण भारत के लिए जीवनरेखा साबित हुई। खराब मौसम और आर्थिक संकट के समय इस योजना ने करोड़ों खेतिहर मजदूरों को उनके घरों के पास रोजगार उपलब्ध कराया।
14 दिसंबर को कांग्रेस ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के विरोध में दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली का आयोजन किया था। पार्टी का दावा है कि 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में SIR के नाम पर वोटर लिस्ट में हेरफेर किया गया, जिससे हालिया चुनावों में विपक्ष को नुकसान हुआ।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर खासे नाराज हैं, क्योंकि यूपीए सरकार के दौरान इस योजना की परिकल्पना और क्रियान्वयन में उनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार बिना किसी ठोस वजह के यूपीए सरकार की योजनाओं के नाम बदलकर उन्हें अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करना चाहती है।
महाराष्ट्र के AICC सचिव बी.एम. संदीप ने कहा कि भाजपा नेता लगातार नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को निशाना बनाते रहते हैं, लेकिन यह समझ से परे है कि उन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी आपत्ति क्यों है। उन्होंने कहा कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए बनाई गई योजना है, लेकिन एनडीए सरकार का ध्यान इस वर्ग से हट गया है, इसलिए योजना का नाम बदला जा रहा है।
कांग्रेस का यह भी कहना है कि नए विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं, जो केंद्र सरकार को अधिक अधिकार देते हैं, पंचायतों की भूमिका को सीमित करते हैं और योजना के लिए 40 प्रतिशत वित्तीय बोझ राज्य सरकारों पर डालते हैं। साथ ही, पार्टी ने केंद्र पर मनरेगा के लिए सालाना बजट में लगातार कटौती करने का आरोप भी लगाया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत वर्ष 2006 में यूपीए सरकार के दौरान हुई थी। बाद में इस योजना में महात्मा गांधी का नाम जोड़ा गया, जिसे कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम के महानायक के प्रति सम्मान का प्रतीक मानती है। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 2 फरवरी को अविभाजित आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से इस योजना की शुरुआत की थी।
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी कोप्पुला राजू ने कहा कि उन्होंने स्वयं इस योजना के जरिए ग्रामीण गरीबों के जीवन में आए बदलाव को देखा है। कोविड-19 महामारी के दौरान इस योजना ने लाखों लोगों को भुखमरी से बचाया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न केवल महात्मा गांधी का नाम हटाया जा रहा है, बल्कि गरीबों के अधिकारों को भी कमजोर किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव चंदन यादव ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलने और नए प्रावधानों के खिलाफ कांग्रेस पूरी ताकत से सड़कों पर उतरेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि नया विधेयक रोजगार के दिनों की संख्या बढ़ाने की बात तो करता है, लेकिन मजदूरी बढ़ाने और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने को लेकर चुप है, जबकि राज्यों में मजदूरी भुगतान पहले से ही देरी का शिकार है।
कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि मनरेगा के नाम और स्वरूप में बदलाव के खिलाफ उसका संघर्ष जारी रहेगा और वह ग्रामीण भारत के हितों से कोई समझौता नहीं करेगी।

