भारत-रूस रिश्ते: पुतिन के भारत दौरे से मजबूत होगी दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी
भारत और रूस के बीच संबंध दुनिया के सबसे स्थिर और भरोसेमंद रिश्तों में गिने जाते हैं। वैश्विक भू-राजनीति में कई बदलावों के बावजूद दोनों देशों की साझेदारी समय के साथ और मजबूत हुई है। अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4–5 दिसंबर को भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग का नया अध्याय खुलने की उम्मीद है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: आज़ादी से पहले शुरू हुई दोस्ती
भारत और सोवियत संघ ने अप्रैल 1947 में, यानी भारत की स्वतंत्रता से चार महीने पहले, औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। शुरुआती वर्षों में संबंध सीमित थे, लेकिन 1950 के दशक से ये रिश्ते तेजी से मजबूत होना शुरू हुए।
1950–1970: नींव रखने वाला स्वर्णिम दौर
- 1953: पहला भारत–सोवियत व्यापार समझौता।
- 1955: पंडित नेहरू की मॉस्को यात्रा और निकिता ख्रुश्चेव का भारत दौरा—दोनों दौरों ने भविष्य के तीन दशकों की दिशा तय की।
- 1960 का दशक: चीन-भारत तनाव के दौरान USSR भारत के समर्थन में खुलकर सामने आया।
- UN में भारत का सपोर्ट: USSR ने 1957 से 1971 के बीच कश्मीर और गोवा जैसे मुद्दों पर भारत के पक्ष में कई बार वीटो किया।
- 1965: भारत–पाक युद्ध के बाद ताशकंद सम्मेलन की मेजबानी करके सोवियत संघ ने शांति बहाल कराई।
- 1971: भारत–सोवियत शांति एवं मैत्री संधि ने दोनों देशों को रणनीतिक साझेदार बना दिया।
1980–1990: रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीक में गहरा सहयोग
- भारत को MIG-21, MIG-27, T-72 टैंक और उन्नत हथियार तकनीक सोवियत संघ ने ही उपलब्ध कराई।
- सोवियत मदद से भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम विकसित हुआ।
- तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की नींव भी इसी दौर में पड़ी।
सोवियत संघ के विघटन (1991) के बाद भारत ने नए रूसी संघ के साथ तुरंत संबंध मजबूत किए और 1993 में नई मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किए।
2000 का दशक: रणनीतिक साझेदारी का उदय
व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में आने के बाद रिश्तों में नई ऊर्जा आई।
- 2000: भारत–रूस “स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप” की शुरुआत
- वार्षिक समिट का ढांचा तैयार हुआ, जो अब तक 22 बार हो चुकी है
- रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष में सहयोग लगातार बढ़ा
इस दशक में प्रमुख समझौते:
- 2001: अंतर-सरकारी रक्षा सहयोग
- 2003: नागरिक परमाणु समझौता
- 2004: इंडो-रशियन एयरक्राफ्ट जॉइंट वेंचर
- 2005: आर्थिक सहयोग (CECA) ढांचा
2010–2024: बड़े रक्षा सौदे और ऊर्जा साझेदारी
महत्वपूर्ण मील के पत्थर:
- 2014: 10 बिलियन डॉलर डिफेंस एग्रीमेंट
- 2016–2018: S-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील (5 बिलियन डॉलर)
- 2021: AK-203 राइफल उत्पादन समझौता
- 2022 के बाद: रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया
- भारत के कुल क्रूड आयात का 35% हिस्सा
- 2022 की तुलना में 600% वृद्धि
2024:
- अंतरिक्ष, परमाणु और एडवांस्ड मिलिट्री सिस्टम पर बातचीत जारी
- मॉस्को में 22वीं वार्षिक समिट आयोजित
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत का रुख
भारत ने शुरुआत से तटस्थ रुख अपनाया—न तो रूस की आलोचना की और न ही किसी सैन्य पक्ष का समर्थन किया।
भारत का फोकस सिर्फ युद्ध रोकने, संवाद बढ़ाने और मानवीय सहायता पर रहा।
2025: पुतिन के भारत दौरे से क्या उम्मीदें?
व्लादिमीर पुतिन का दौरा 4 साल के अंतराल के बाद हो रहा है। इस दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है:
संभावित एजेंडा
- ऊर्जा सहयोग
- नागरिक उड्डयन
- मिनरल और माइनिंग
- बड़े निवेश प्रोजेक्ट
- तकनीकी योगदान
- श्रमिक-आव्रजन सहयोग
रक्षा क्षेत्र में संभावित चर्चाएँ
- Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट
- अतिरिक्त S-400 यूनिट्स
- हाई-टेक मिलिट्री सिस्टम का जॉइंट डेवलपमेंट
भारत में रूसी उपस्थिति
- करीब 14,000 भारतीय रूस में रहते हैं
- लगभग 4,500 भारतीय छात्र—जिनमें 90% मेडिकल की पढ़ाई में
- रूस में 300 से अधिक भारतीय कंपनियाँ
- मुख्य व्यापार: चाय, कॉफी, मसाले, फार्मा, टेक्सटाइल, IT उत्पाद
भारत-रूस रक्षा साझेदारी: सबसे मजबूत स्तंभ
- रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर
- अब तक लगभग $80 बिलियन का रक्षा निर्यात
- भारत की सैन्य खरीद में रूस की हिस्सेदारी लगभग 70%
भारत रूस को इसलिए चुनता रहा क्योंकि:
- एडवांस्ड हथियार तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर
- लाइसेंस पर उत्पादन की अनुमति (MIG-21, MIG-27, T-72 आदि)
- बार्टर ट्रेड का मॉडल
- लंबी अवधि का भरोसेमंद तकनीकी सहयोग
भारत-रूस आर्थिक साझेदारी
- व्यापार FY 2021–22 के $13.1 बिलियन से बढ़कर FY 2024–25 में $68.7 बिलियन हुआ
- भारत ने रूस से $63.8 बिलियन का आयात किया—मुख्य रूप से तेल, कोयला, खाद और रक्षा पार्ट्स
- हालांकि भारत का निर्यात सिर्फ $4.9 बिलियन, जिससे व्यापार संतुलन रूस के पक्ष में

