गणेश चतुर्थी 2025: गोबर से बनी इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की डिमांड, महिलाओं का अनोखा प्रयास
देहरादून: गणेश चतुर्थी 2025 को लेकर उत्तराखंड में बाजार सज चुके हैं। जगह-जगह गणपति बप्पा की मूर्तियों की बिक्री हो रही है। इस बार खास बात यह है कि राजधानी देहरादून के ‘स्वदेश कुटुंब’ स्वयं सहायता समूह ने गोबर से इको-फ्रेंडली गणेश जी की मूर्तियां तैयार की हैं, जिनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से स्वदेशी और इको-फ्रेंडली उत्पादों के इस्तेमाल की अपील की थी, जिसका असर मूर्ति बाजार में साफ दिखाई दे रहा है। गोबर से बनीं मूर्तियों को लोग हाथों-हाथ खरीद रहे हैं।

गोबर से बनी गणेश प्रतिमा की खासियत
सनातन धर्म में गाय के गोबर को शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्वदेश कुटुंब समूह ने गाय के गोबर से गणेश जी की प्रतिमाएं तैयार की हैं।
- मूर्तियां बनाने में गोबर, गंगाजल और चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है।
- प्रतिमा के डिज़ाइन लोगों की पसंद के अनुसार बनाए गए हैं – कुछ सिंपल तो कुछ रंग-बिरंगी।
- इस बार सबसे बड़ी मूर्ति 21 इंच की तैयार की गई है। वहीं 2026 के लिए 24 इंच की मूर्ति का ऑर्डर भी मिल चुका है।
क्यों है इन मूर्तियों की डिमांड?
समूह की अध्यक्ष तृप्ति थापा के अनुसार, गोबर से बनी मूर्तियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि विसर्जन के बाद ये प्रतिमाएं पानी में पूरी तरह घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।
मुंबई और अन्य जगहों पर विसर्जन के बाद कई मूर्तियां पानी में घुलती नहीं हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। लेकिन गोबर की मूर्तियां पूरी तरह इको-फ्रेंडली हैं।
कामधेनु गाय की प्रतिमा भी बनी आकर्षण
इस बार समूह ने खास तौर पर कामधेनु गाय की मूर्ति भी गोबर से तैयार की है, जो लोगों को काफी पसंद आ रही है। बड़े आकार की ऐसी मूर्तियों की बुकिंग भी लगातार मिल रही है।
काशीपुर में गणेश महोत्सव की धूम
उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में गणेश चतुर्थी को लेकर माहौल बेहद उत्साहपूर्ण है। बाजार गणपति की प्रतिमाओं से सजे हैं और जगह-जगह पंडालों की तैयारियां चल रही हैं।
27 अगस्त से शुरू होकर 11 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में घर-घर बप्पा विराजमान होंगे।