मतदाता सूची में धांधली के खिलाफ विपक्ष का संसद मार्च, राहुल-प्रियंका-अखिलेश समेत कई नेता हिरासत में
विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत विपक्षी सांसदों ने सोमवार (11 अगस्त, 2025) को बिहार में मतदाता सूची के संशोधन और कथित “वोट चोरी” के खिलाफ संसद भवन से चुनाव आयोग तक विरोध मार्च निकाला, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और भारी ड्रामा के बीच हिरासत में ले लिया।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन और कथित चुनावी धांधली का विरोध कर रहे सांसदों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने रास्ते में बैरिकेड लगा दिए। जैसे ही सांसदों को रोका गया, उनमें से कई सड़क पर बैठ गए और नारे लगाने लगे, जबकि साड़ी पहने टीएमसी की महुआ मोइत्रा और कांग्रेस की संजना जाटव और जोथिमणि सहित कुछ महिला सांसद बैरिकेडिंग पर चढ़ गईं और चुनाव आयोग के खिलाफ नारे लगाने लगीं। बाद में पुलिस ने उन्हें सड़क के किनारे खड़ी बसों में बिठाकर संसद मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया। बाद में सभी सांसदों को रिहा कर दिया गया।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई सांसद शामिल थे। सभी को संसद मार्ग थाने ले जाया गया, जहां कुछ समय बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
राहुल गांधी ने कहा कि यह लड़ाई राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान और ‘‘एक व्यक्ति, एक वोट’’ के अधिकार की है। उन्होंने साफ और निष्पक्ष मतदाता सूची की मांग की। वहीं, खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘‘भाजपा की तानाशाही नहीं चलेगी, यह लोकतंत्र बचाने का संघर्ष है’’। अखिलेश यादव ने पुलिस बैरिकेड फांदते हुए कहा कि ‘‘वोट बचाने के लिए हम यह कर रहे हैं’’ और चुनाव आयोग से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
मार्च की शुरुआत संसद के मकर द्वार से राष्ट्रगान के साथ हुई, लेकिन पीटीआई बिल्डिंग के पास सांसदों को रोक दिया गया। वे सड़क पर बैठकर ‘‘वोट चोरी बंद करो’’ जैसे नारे लगाने लगे। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, सागरिका घोष, कांग्रेस सांसद ज्योतिमणि और संजना जाटव बैरिकेड पर चढ़कर नारेबाजी करती रहीं। इस प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेता भी शामिल हुए। सांसदों ने सफेद टोपी पहनी थी जिस पर ‘SIR’ और ‘वोट चोरी’ लिखा था, साथ ही लाल क्रॉस का निशान था।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं ली गई थी। यह विपक्ष का पहला बड़ा विरोध है, जो राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची में धांधली और ‘‘वोट चोरी’’ के आरोप लगाने के बाद हुआ। राहुल ने हाल ही में दावा किया था कि बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 वोट हटाकर भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई, जबकि यह सीट पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 32,707 वोटों से जीती थी।