11 साल की मासूम का 2 बार गैंगरेप, फिर बच्चा हो गया, अब जेल से छूटने के बाद आरोपियों ने घर में ही आग लगा दी.
कुछ दिन पहले आपने अतीक अहमद की हत्या देखी होगी. और उसके बाद लोगों को इस तरह से हत्या होने पर खुशी मनाते देखा होगा. मैंने कहा था की इस तरह से हत्या होने से और कानून टूटने से अपराधियों पर कानून का डर खत्म होता है. जो आम लोगों के लिए ही सबसे ज्यादा खतरनाक है.
यूपी से ही एक ऐसी खबर आई है जिसे सुनके आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे और आपको कानून व्यवस्था पर शर्म आ जाएगी. जहां 12 साल की एक मासूम लड़की का पहले तो गैंगरेप होता है फिर उसे जिंदा जलाने की कोशिश तक होती है.
उन्नाव में पिछले साल फरवरी में एक 11 साल की मासूम का गांव के ही 5 लोग गैंग रेप करते हैं. जिसके बाद मासूम गर्भवती हो जाती है. और सात महीने पहले एक बच्चे को जन्म देती है. उस समय अमन, अरुण और सतीश नाम के 3 आरोपियों को जेल भेजा गया था. जो कुछ महीने बाद ही जमानत पर बाहर आ गए. और पिड़िता के घर पर पहुंचकर पहले तो खूब मारपीट की औऱ फिर जिंदा जलाने की कोशिश कीऔऱ अब सात महीने की मासूम जिंदगी और मौत से लड़ रहा है.
होता ये है की जमानत के एक महीने बाद 17 अप्रैल को अरोपी अमन और सतीश अपने साथियों के साथ पीडिता के घर पहुंचते हैं और समझौता करने का दबाव बनाते हैं. जिसके लिए मना करने पर आरोपियों ने पीडिता समेत पूरे परिवार की पिटाई की और घर में आग लगा कर बच्चों को आग में फेक दिया. जिसमें गैंगरेप की पिड़ित नाबालिग का 7 महिने के मासूम और 2 महीने की पीड़िता की बहन झुलस गई. जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
अब आप देखिए कैसे आपराधिक प्रवर्ती के लोगों के बीच पुलिस और कानून का डर खत्म हो गया है. जो पहले से ही एक सजा काट कर बाहर निकले हों उनमें इतनी हिम्मत आ जाती है की वो दोबारा लड़की को जिंदा जलाने की कोशिश करते हैं और उन्हें किसी चीज का कोई डर भी नहीं होता. पीड़िता की मां ने पुलिस पर भी आरोपियों की मदद करने का आरोप लगाया है.
13 फरवरी 2022 की घटना पर मामला दर्ज हुआ. जांच में पता लगा कि लड़की 6 हफ्ते, 2 दिन की प्रेग्नेंट है. पुलिस ने ये बात उसकी फैमिली को नहीं बताई. अगर बता देती तो मेडिकल टर्मिनेशन (अबॉर्शन) हो जाता. और कुछ नहीं तो बच्ची को प्रेग्नेंसी के समय लगने वाले टीके ही लग जाते. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
पुलिस ने दिसंबर में हुए रेप पर FIR लिखी और कह दिया कि इस बार कोई रेप नहीं हुआ है. लड़की छोटी है, उसके घरवाले अपढ़ हैं, उन्हें जो कह दिया गया, उसपर अंगूठा लगा दिया. काफी बाद में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के जरिए केस मुझ तक आया. उस समय तक पीड़िता के पेट में दर्द और सूजन बढ़ चुकी थी. फिर से अल्ट्रासाउंड हुआ, तब जाकर हम लोगों को पता लगा कि वो प्रेग्नेंट है. लगभग 7 महीने हो चुके थे. कोई रास्ता न देख हमने कोर्ट में बड़े अस्पताल में डिलीवरी की अर्जी लगाई.
इधर तीन आरोपियों में से जिन दो को जेल हुई थी, उनमें से एक जमानत पर बाहर आ गया. पुलिस का कहना था कि आरोपी ने रेप नहीं किया, सिर्फ लड़की को बहलाया था. एक आरोपी माइनर था. बच्ची का कहना था कि वो इस लड़के को नहीं जानती, लिहाजा उसके खिलाफ केस खत्म हो गया. फिलहाल एक ही आरोपी जेल में है.
वकील कहते हैं- लड़की शुरुआत से लेकर अब तक के बयान में कहती रही कि उसका रेप 5 लोगों ने 2 बार किया और वो सबको जानती है, लेकिन पुलिस ने 3 लोगों बात क्यों लिखी.
यूपी में धीरे-धीरे पुलिस अपनी साख खोती जा रही है. औऱ अतीक जैसी घटनाओं के बाद को पुलिस और ज्यादा निकम्मी साबित हो चुकी है. इसलिए मैने कहा था की अतीक की जिस तरह से हत्या हुई है उसकी खुशी मत मनइये….
उन्नाव मामला इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है की अगर लोगों में पुलिस और कानून का डर खत्म हो गया तो देश में जंगल राज आ जाएगा. बंदूक के दम पर लोग फैसला करने लगेंगे. इसी तरह मासूम बेटियों की इज्जत लूटने वाले लोग मासूमों को जिंदा जलाने में भी नहीं हिचकिचाएंगे. और ये सब आपको तब तक साधारण लगेगा जबतक आपके साथ कुछ ऐसा नहीं हो जाता है. इसलिए कानून टूटने पर सरकार और सिस्टम से सवाल पूछिए उसका जश्न मत मनाइए.