सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर वकील का जूता हमला, सोशल मीडिया विवाद ने बढ़ाई तनातनी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना हुई, जब एक वकील ने चीफ जस्टिस बीआर गवई पर हमले की कोशिश की। यह घटना तब घटी जब सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों ने बताया कि आरोपी वकील ने सीजेआई की ओर जूता फेंका, हालांकि वह उनकी बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया। बाहर ले जाते समय उसने नारा लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” इसके बावजूद सीजेआई गवई ने शांति बनाए रखते हुए कहा, “इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, आप अपनी दलीलें जारी रखें।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए सीजेआई से बात की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “CJI पर हमला हर भारतीय के लिए गुस्से का कारण है। हमारे समाज में ऐसे कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं। यह बेहद शर्मनाक है।” वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया, जो 2011 से पंजीकृत था। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी उसे तत्काल निलंबित कर दिया। बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह वकीलों के आचरण नियमों का उल्लंघन है, और 15 दिनों में शो कॉज नोटिस जारी होगा।
SCBA ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा, “यह असंयमित व्यवहार पूरी तरह गलत है और कोर्ट व वकील समुदाय के बीच सम्मान के रिश्ते को कमजोर करता है। यह हमारे न्याय तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।” कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने इसे संविधान व कानून के शासन पर हमला करार देते हुए कहा, “यह घटना निंदनीय है, और हमें सीजेआई के साथ एकजुट होना चाहिए।”
घटना की पृष्ठभूमि: माना जा रहा है कि वकील CJI की 16 सितंबर की टिप्पणी से नाराज था, जब उन्होंने मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली की याचिका खारिज करते हुए कहा था, “जाओ, भगवान से खुद करने को कहो।” याचिकाकर्ता ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया था, जबकि कोर्ट ने कहा कि मूर्ति वैसे ही रहेगी, और भक्त अन्य मंदिर जा सकते हैं। याचिकाकर्ता का दावा था कि मूर्ति मुगल आक्रमण में खंडित हुई थी, और उसकी बहाली जरूरी है।
सीजेआई गवई ने बाद में सफाई दी कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा, “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।” बेंच के जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को “एंटी-सोशल मीडिया” करार दिया, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी इस पर सहमति जताई कि सोशल मीडिया वकीलों के लिए रोज़ाना परेशानी का कारण बन रहा है।