उत्तराखंड के ये शहर और कस्बे नदियों के किनारे, लगातार बढ़ रहा फ्लैश फ्लड का खतरा
धराली आपदा के बाद एक बार फिर खतरे की घंटी
उत्तरकाशी के धराली में आई भीषण बाढ़ ने उत्तराखंड में नदियों के किनारे बसे शहरों और कस्बों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। धराली मार्केट खीरगंगा नदी के इतने करीब बसा था कि जलस्तर बढ़ते ही पूरा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया। यह सिर्फ धराली की कहानी नहीं है – उत्तराखंड के कई शहर और कस्बे नदियों के किनारे ‘डेंजर जोन’ में बसे हुए हैं।
भागीरथी नदी के किनारे बसे संवेदनशील नगर:
- उत्तरकाशी
- चन्यालीसौड़
- धरासू
- देवप्रयाग (जहां भागीरथी और अलकनंदा का संगम होता है)
इन स्थानों में अत्यधिक निर्माण कार्य और अतिक्रमण के कारण बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
अलकनंदा नदी के किनारे बसे शहर और कस्बे:
- बदरीनाथ
- चमोली
- नंदप्रयाग
- कर्णप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- श्रीनगर
कर्णप्रयाग में पिंडर नदी और रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी के मिलने से अलकनंदा का जलस्तर बरसात में कई गुना बढ़ जाता है। वहीं निर्माण कार्य नदी तट तक पहुंच गया है।
गंगा नदी के आसपास का अतिक्रमण:
देवप्रयाग के बाद गंगा जब ऋषिकेश और हरिद्वार पहुंचती है, तब भी होटल और रिसॉर्ट्स का निर्माण नदी के बेहद पास हो चुका है, जिससे बाढ़ का खतरा बरकरार रहता है।
मंदाकिनी नदी के किनारे बसे नगर:
- केदारनाथ
- गौरीकुंड
- रामबाड़ा
- गुप्तकाशी
- रुद्रप्रयाग
इन इलाकों में सोनप्रयाग में वासुकीगंगा के संगम से जलस्तर अचानक बढ़ सकता है। अतिक्रमण और अवैज्ञानिक निर्माण यहां खतरे को और बढ़ाते हैं।
रामगंगा नदी के किनारे कुमाऊं के शहर:
- धुनारघाट
- मेहलचौरी
- मासी
- भिकियासैंण
यहां पर भी नदियों के करीब निर्माण कार्य हुए हैं। मानसून में जलस्तर बढ़ने पर हालात खतरनाक हो जाते हैं।
गौला नदी: नैनीताल और उधमसिंह नगर का खतरा
हैड़ाखान, काठगोदाम, हल्द्वानी, और किच्छा जैसे शहर बरसात में गौला नदी की उफान से बार-बार प्रभावित होते हैं।
कोसी नदी: कुमाऊं के कई नगरों पर संकट
- धानाचूली
- खैरना
- गरमपानी
- बेतालघाट
- रामनगर
बरसात में कोसी का रौद्र रूप पूरे इलाके में तबाही मचा सकता है।
सरयू और पंचेश्वर क्षेत्र में जल संकट:
- बागेश्वर
- कपकोट
- भराड़ी
- पंचेश्वर
यहां सरयू, गोमती, शारदा, धौली और रामगंगा का संगम होता है, जिससे बाढ़ की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।
काली और गोरी नदियों के किनारे बसे नगर:
- धारचूला
- मदकोट
- जौलजीवी
- बलुआकोट
यह क्षेत्र नेपाल बॉर्डर के पास है और यहां भी हर मानसून में बाढ़ की गंभीर आशंका रहती है।
यमुना नदी के किनारे पश्चिमी उत्तराखंड:
- हरिपुर
- कालसी
- डाकपत्थर
- विकासनगर
यमुना नदी भी पर्वतीय क्षेत्रों में उफान मारने लगती है, जिससे किनारे बसे गांव-नगर खतरे में आ जाते हैं।