कांवड़ यात्रा 2025 में अशांति: एक चर्चा
कांवड़ यात्रा 2025, हिंदुओं की एक प्रमुख धार्मिक यात्रा, में 18 जुलाई तक लगभग 1.56 करोड़ श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे, और 23 जुलाई तक यह संख्या संभवतः 2 करोड़ के करीब पहुंच गई। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की इस यात्रा में पिछले कुछ वर्षों से अशांति और उपद्रव की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस साल, हिंसा, तोड़फोड़ और सार्वजनिक अशांति की घटनाओं ने व्यापक बहस छेड़ दी है।
सोशल मीडिया पर कई परेशान करने वाली घटनाएं सामने आईं: वाहनों, जिसमें स्कूल बसें और सरकारी संपत्ति शामिल हैं, में तोड़फोड़ की गई। होटलों और दुकानों पर छोटी-मोटी बातों पर झगड़े हुए। पुलिस और सीआरपीएफ जवानों के साथ मारपीट की घटनाएं भी सामने आईं, जैसे मिर्जापुर में एक सीआरपीएफ जवान पर हमला और हरिद्वार में पुलिस के साथ टकराव। कुछ वीडियो में नशा और अश्लील व्यवहार की भी बात सामने आई, जिसने जनता का गुस्सा बढ़ाया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि एक खास समुदाय इस पवित्र यात्रा को “मीडिया ट्रायल” के जरिए बदनाम करने की साजिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि यात्रा खत्म होने के बाद सीसीटीवी फुटेज की मदद से उपद्रवियों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, यह सवाल उठता है कि इस अशांति का जिम्मेदार कौन है? 2 करोड़ श्रद्धालुओं में से कुछ हजार लोग ही उपद्रव में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इनकी वजह से पूरी यात्रा बदनाम हो रही है। कई लोगों का मानना है कि सरकार की नरमी, जैसे दुकानों पर नाम प्रदर्शित करने का आदेश, ने कुछ अराजक तत्वों को कानून तोड़ने की छूट दी। उत्तराखंड पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती दिखाई, जिससे तेज डीजे और शोर पर रोक लगी, लेकिन उत्तर प्रदेश में पुलिस की नरमी ने उपद्रवियों को बढ़ावा दिया।
पूर्व यूपी डीजीपी ने भी पुलिस की इस नरमी की आलोचना की, यह कहते हुए कि कानून का पालन धर्म-जाति से ऊपर होना चाहिए। यह स्पष्ट है कि अगर शुरू में ही सख्ती की गई होती, तो शायद यात्रा की छवि खराब न होती।
कांवड़ यात्रा में ज्यादातर श्रद्धालु शांति से अपनी भक्ति निभाते हैं, लेकिन कुछ अराजक तत्वों की वजह से यह पवित्र यात्रा बदनाम हो रही है। धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देने वाली नीतियों और ऐसी घटनाओं का समर्थन करने वालों की भी जिम्मेदारी बनती है। उत्तराखंड के निवासी, जो इस यात्रा से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, इसका दर्द अच्छे से समझते हैं।
हमारी अपील है कि धर्म के नाम पर हिंसा का समर्थन न करें, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो। हिंसा किसी को नहीं बख्शती, और इसका असर एक दिन सभी तक पहुंच सकता है।