भाजपा सांसद की टिप्पणियों पर SC ने जताई कड़ी नाराज़गी, कहा – “अदालतें फूल नहीं जो मुरझा जाएं”
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा सांसद कनकशकांत दुबे द्वारा अदालत और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणियों पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका फूलों की तरह नाजुक नहीं है कि किसी के बेतुके बयान से उसका सम्मान घट जाए।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि सांसद की ये टिप्पणियां न केवल दुर्भाग्यपूर्ण हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और अधिकारों को भी ठेस पहुंचाती हैं।
पीठ ने कहा, “हमारा स्पष्ट मत है कि अदालतें इतनी कमजोर नहीं हैं कि किसी के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से उनका सम्मान कम हो जाए।” कोर्ट ने यह भी कहा कि इन टिप्पणियों के माध्यम से न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप और उसे बाधित करने की प्रवृत्ति दिखाई देती है।
पांच मई को इसी मुद्दे पर सुनवाई के दौरान याचिका खारिज कर दी गई थी, लेकिन अब कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में भाजपा सांसद के बयानों को लेकर कड़ी आलोचना की है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि सांसद की ऐसी टिप्पणियां न केवल असंवैधानिक हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि वे संविधान द्वारा निर्धारित न्यायिक भूमिकाओं और दायित्वों की गंभीरता को नहीं समझते।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के बयानों से जनता के बीच न्यायपालिका की साख कम नहीं होती, बल्कि यह दर्शाता है कि ऐसा बयान जानबूझकर सार्वजनिक विश्वास को चोट पहुंचाने के उद्देश्य से दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने याचिका पर सुनवाई तो नहीं की, लेकिन अपने आदेश में दो टूक कहा कि ‘सांप्रदायिक घृणा फैलाने’ और ‘नफरत भरे भाषण’ देने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।