इसरो ने लॉन्च किया भारत का सबसे भारी सैटेलाइट, दुश्मन की हर हरकत पर रहेगी नजर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। रविवार को इसरो ने भारतीय नौसेना के लिए देश का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह “जीसैट-7आर (CMS-03)” सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा।
यह उपग्रह लगभग 4,400 किलोग्राम वजनी है और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित किया गया है।
🚀 श्रीहरिकोटा से हुआ सफल प्रक्षेपण
यह ऐतिहासिक प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रविवार शाम 5:26 बजे किया गया।
इसरो के शक्तिशाली रॉकेट LVM-3 (बाहुबली रॉकेट) के ज़रिए CMS-03 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया गया।
यह वही रॉकेट है जिसने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचाया था।
🛰️ भारतीय नौसेना की निगरानी शक्ति बढ़ेगी
यह सैटेलाइट भारतीय नौसेना की कम्युनिकेशन और समुद्री निगरानी क्षमता को नई ऊंचाई देगा।
CMS-03 के ज़रिए नौसेना को महासागरों में दुश्मन की गतिविधियों पर रियल-टाइम निगरानी रखने में मदद मिलेगी।
इसरो ने बताया कि यह उपग्रह मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस है, जो भारतीय क्षेत्र सहित विशाल समुद्री इलाकों में सेवाएं देगा।
🧩 तकनीकी रूप से अत्याधुनिक और स्वदेशी
CMS-03 में कई अत्याधुनिक स्वदेशी कंपोनेंट्स शामिल किए गए हैं।
यह उपग्रह कम से कम 15 साल तक काम करेगा और भारत को समुद्री संचार क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।
LVM-3 रॉकेट की यह पांचवीं परिचालन उड़ान थी। रॉकेट की ऊंचाई 43.5 मीटर और वजन 642 टन रहा।
🇮🇳 ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मजबूत उदाहरण – इसरो प्रमुख
इसरो के प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि,
“CMS-03 उपग्रह भारत की संचार शक्ति को नई दिशा देगा। यह मिशन आत्मनिर्भर भारत का एक और ज्वलंत उदाहरण है। कठिन मौसम के बावजूद टीम ने शानदार काम किया है।”
उन्होंने बताया कि पहली बार इस मिशन में क्रायोजेनिक स्टेज को पुनः प्रज्वलित (Re-Ignite) करने का प्रयोग किया गया, जो भविष्य के मल्टी-ऑर्बिट मिशनों के लिए नई राह खोलेगा।
🏆 पीएम मोदी ने दी इसरो को बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CMS-03 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति और रक्षा क्षमता का प्रतीक है।
🛰️ मुख्य बिंदु एक नजर में:
- भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह – 4,400 किलोग्राम
- LVM-3 रॉकेट से हुआ सफल प्रक्षेपण
- भारतीय नौसेना की निगरानी और संचार क्षमता बढ़ेगी
- पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित
- उपग्रह की उम्र – लगभग 15 वर्ष
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
📸 (डिस्क्लेमर)
यह रिपोर्ट सार्वजनिक स्रोतों और इसरो के आधिकारिक बयानों पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य या तकनीकी दावे पर अमल से पहले विशेषज्ञ सलाह लेना उचित रहेगा।

