धराली आपदा: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा रस्सी के सहारे पहाड़ उतरे, बोले – “वो मेरे अपने हैं”
उत्तरकाशी (उत्तराखंड) – उत्तरकाशी जिले के धराली में आई भीषण आपदा ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। इस त्रासदी के बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा 5 अगस्त की रात से धराली के लिए रवाना हुए, लेकिन टूटी सड़कों और नष्ट हो चुके पुलों के कारण वहां तक वाहन से पहुंचना संभव नहीं था। नतीजा, उन्होंने पैदल सफर शुरू किया और एक खतरनाक मोड़ पर रस्सी के सहारे पहाड़ से नीचे उतरते हुए उनका वीडियो सामने आया है।
“मेरे अपने तड़प रहे हैं” – करन माहरा
करन माहरा ने कहा, “मैं धराली जाना चाहता हूं, वहां मेरे अपने तड़प रहे हैं। घर मलबे में दब गए हैं, पर सरकार की संवेदना भी अब तक दब चुकी है।” उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दो दिन से उन्हें भटवाड़ी में प्रशासन ने रोक रखा था, बिना कोई वजह बताए। “शायद डर है कि कोई जाकर सच देख ना ले, कोई जाकर देश को बता ना दे कि उत्तराखंड का दिल इस वक्त कितना टूटा है।”
सोशल मीडिया पर साझा किया वीडियो
माहरा ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर पहाड़ से रस्सी के सहारे उतरते हुए वीडियो शेयर किया और लिखा –
“तेज़ बहाव है, ज़िंदगी का जोखिम है, लेकिन जो वहां हैं… उनका क्या? जिनके पास ना छत है, ना रोटी, जो मलबे में दबे अपनों की लाशें खुद निकाल रहे हैं, क्या उनका दर्द इस दिखावटी शासन से छोटा है?”
सरकार पर कड़ा हमला
कांग्रेस नेता ने कहा – “मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर से हवाई दौरा कर लौट जाते हैं, जैसे आसमान से देख लेने भर से जख्म भर जाते हों। पर जमीन पर लोग आज भी सिसक रहे हैं। सरकार के पास कैमरा है, राहत नहीं। घोषणाएं हैं, मगर हिम्मत नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चाहती है कोई आपदा पीड़ितों तक न पहुंच पाए, लेकिन “जब सरकार संवेदनहीन हो जाए, तब इंसानियत सबसे बड़ा संघर्ष बन जाती है।”
धराली में क्या हुआ था?
5 अगस्त को धराली में आई आपदा को शुरुआत में बादल फटने की घटना माना गया, लेकिन मौसम विभाग ने इसे खारिज कर कहा कि वहां सामान्य बारिश हुई थी। वैज्ञानिकों ने बाद में दावा किया कि ग्लेशियर टूटने से खीरगंगा नदी में बाढ़ आई और तबाही मच गई।
अब तक 5 शव बरामद हुए हैं, कई लोग लापता हैं और 274 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। हर्षिल घाटी सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां सड़कें टूट गई हैं और पुल बह गए हैं।
सरकार की राहत गतिविधियां
सीएम पुष्कर सिंह धामी 6 अगस्त से उत्तरकाशी में कैंप कर रहे हैं और रोजाना राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन लगातार मोर्चे पर डटे हैं। वायुसेना की मदद से गंगोत्री और आसपास के क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है।