उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड खत्म, नया अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक लागू होगा | Uttarakhand Madrasa Board Abolished
उत्तराखंड की धामी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य में मदरसा बोर्ड को भंग कर नया ‘अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक 2025’ लागू किया जाएगा। इस विधेयक के लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां सभी अल्पसंख्यक समुदायों – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी – के शैक्षिक संस्थानों को एक ही कानून के तहत मान्यता और नियंत्रण मिलेगा।
गैरसैंण विधानसभा में विधेयक होगा पास
गैरसैंण में होने वाले आगामी मानसून सत्र में इस विधेयक को पेश कर मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और अरबी-फारसी मदरसा अधिनियम 2019 खत्म हो जाएंगे।
सरकार का दावा – शिक्षा में पारदर्शिता और सुधार
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस कानून से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी, अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार मजबूत होंगे और संस्थानों में पारदर्शिता आएगी। धार्मिक शिक्षा पर रोक नहीं होगी, लेकिन पढ़ाई राज्य बोर्ड के मानकों के अनुसार सुनिश्चित की जाएगी।
कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार इस कानून के जरिए “हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव” बना रही है। कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने आरोप लगाया कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है।
इस्लामिक जानकारों की आपत्ति
इस्लामिक मामलों के जानकार खुर्शीद अहमद ने इसे आर्टिकल 30 (a) का उल्लंघन बताया और कहा कि पहले से ही अल्पसंख्यक आयोग मौजूद है, ऐसे में नया अधिनियम गैरज़रूरी है।
बीजेपी और मदरसा बोर्ड का समर्थन
बीजेपी नेताओं और मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया। उनका मानना है कि इस फैसले से अल्पसंख्यक छात्रों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी और उनके भविष्य के अवसर बढ़ेंगे।
क्या बदलेगा?
- मदरसा बोर्ड खत्म होगा, रेगुलेटरी बॉडी बनेगी
- सभी अल्पसंख्यक संस्थानों को एक ही प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी
- पारदर्शिता और वित्तीय निगरानी कड़ी होगी
- धार्मिक शिक्षा जारी रहेगी, लेकिन पढ़ाई राज्य बोर्ड मानकों के अनुरूप होगी