उत्तराखंड: वन विभाग में बड़ा बदलाव, 10 फॉरेस्ट डिवीजन होंगे खत्म — जानिए पूरी योजना
उत्तराखंड के वन विभाग में बड़े प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी है। राज्य सरकार जल्द ही फॉरेस्ट डिवीजनों का पुनर्गठन करने जा रही है। इसके लिए विभागीय स्तर पर पूरा होमवर्क पूरा हो चुका है और अब केवल कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। इस नई व्यवस्था के तहत राज्य में करीब 10 फॉरेस्ट डिवीजन खत्म किए जाने की तैयारी है।
🔹 टेरिटोरियल और नॉन-टेरिटोरियल डिवीजन की व्यवस्था होगी खत्म
वन विभाग में फिलहाल फॉरेस्ट डिवीजन दो श्रेणियों में बंटे हैं —
- टेरिटोरियल डिवीजन (मुख्य कार्य क्षेत्र वाले)
- नॉन-टेरिटोरियल डिवीजन (कम फील्ड एक्टिविटी वाले)
अब इन दोनों के बीच का फर्क खत्म कर दिया जाएगा। नई व्यवस्था में सभी डिवीजन समान दर्जे के माने जाएंगे। इससे अधिकारियों की पोस्टिंग और तबादले से जुड़ी समस्याएं भी काफी हद तक खत्म होने की उम्मीद है।
🔹 डिवीजन घटेंगे, लेकिन जिम्मेदारियां बढ़ेंगी
राज्य में 10 फॉरेस्ट डिवीजन घटाए जाने के बाद संबंधित DFO (डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) के अधीन आने वाला क्षेत्र पहले से ज्यादा बड़ा हो जाएगा। यानी, कम अधिकारी लेकिन ज्यादा कार्यक्षेत्र।
🔹 मुख्यालय में DFO और CF स्तर के नए पद बनेंगे
अब तक वन मुख्यालय में सिर्फ CCF या उससे ऊपर रैंक के अधिकारियों के पद ही स्वीकृत थे। लेकिन नई व्यवस्था के तहत DFO और CF स्तर के अधिकारियों के लिए भी पद सृजित किए जाएंगे। इससे फील्ड स्तर पर डीएफओ की संख्या तो घटेगी, लेकिन मुख्यालय में उनकी भूमिका और जिम्मेदारी बढ़ेगी।
🔹 वित्त और कार्मिक विभाग की मंजूरी के बाद कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर शासन स्तर पर चर्चा पूरी हो चुकी है और वित्त विभाग से भी मंजूरी मिल चुकी है। अब यह प्रस्ताव कार्मिक विभाग में विचाराधीन है। यहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे राज्य कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
🔹 क्यों जरूरी है ये बदलाव?
- टेरिटोरियल और नॉन-टेरिटोरियल डिवीजन में असंतुलन खत्म करना।
- अधिकारियों की तैनाती में पारदर्शिता लाना।
- वन प्रबंधन को अधिक कुशल और केंद्रीकृत बनाना।
- मुख्यालय स्तर पर प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना।
अगर सब कुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो जल्द ही उत्तराखंड के वन विभाग की संरचना और कामकाज दोनों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

