वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक, जवाब देने के लिए सरकार को एक सप्ताह की मोहलत – WAQF AMENDMENT ACT 2025
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. आज सरकार को इस मामले पर जवाब देना था, लेकिन सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांग लिया. इस पर सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गई. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि इस दौरान वक्फ बोर्ड में कोई भी नई नियुक्तियां नहीं होंगी.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की शुरुआत की. बता दें, कोर्ट ने सुनवाई के लिए 5 मई अगली डेट दी है.
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है और उसे बहुत बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें भूमि के विशाल हिस्सों – कुछ मामलों में पूरे गांव – को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा किए जाने पर चिंता जताई गई है.
‘अनगिनत प्लॉट को वक्फ घोषित किया जा रहा है’
मेहता ने कहा, “लाखों ऐसे अभ्यावेदनों के जवाब में यह कानून लाया गया है. गांवों के बाद गांवों, अनगिनत प्लॉट को वक्फ घोषित किया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि इस मामले का सार्वजनिक रूप से बहुत महत्व है.
‘अधिनियम पर रोक लगाना बेहद कठोर’
अदालत से किसी भी अंतरिम निर्णय में जल्दबाजी न करने का आग्रह करते हुए मेहता ने कहा कि इस स्तर पर संशोधित अधिनियम पर रोक लगाना बेहद कठोर कदम होगा. उन्होंने प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, इस बात पर जोर देते हुए कि इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है और इस पर जल्दबाजी में निर्णय नहीं लिया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कानून में कुछ सकारात्मक प्रावधान हैं और इसलिए इस पर पूरी तरह रोक लगाना उचित नहीं है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक मामला न्यायिक विचाराधीन है, तब तक मौजूदा स्थिति को बिगाड़ा नहीं जाना चाहिए.
अंतरिम रोक लगाने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए निर्देश दिया कि किसी भी वक्फ संपत्ति के कैरेक्टर में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए, जिसमें वक्फ बाय यूजर की प्रैक्टिस के तहत रजिस्टर या घोषित संपत्तियां भी शामिल हैं.
केंद्र को सात दिन का समय कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी वक्फ संपत्तियां-चाहे वे किसी भी तरह वर्गीकृत हों-अगली सुनवाई तक अपनी मौजूदा स्थिति में ही सुरक्षित रखी जानी चाहिए. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस अवधि के दौरान किसी भी वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी. केंद्र को प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ अपना प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भी मामले की सुनवाई की थी. कल हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अंतरिम आदेश देने की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने मामले की सुनवाई आगे भी जारी रखने के फैसला किया. ऐसे में माना जा रहा है कि अदालत आज वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर अंतरिम आदेश जारी कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कल ही सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या वक्फ बाय यूजर को शून्य या अस्तित्वहीन घोषित किया जा सकता है, अगर यूजर द्वारा वक्फ पहले से ही स्थापित है, तो क्या इसे अमान्य घोषित किया जाएगा या अस्तित्व में रहना जारी रहेगा? सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद समेत सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे. ‘वक्फ बाय यूजर्स को खत्म करने से समस्या पैदा होगी’ CJI ने मेहता से कहा, “अगर आप वक्फ-बाय-यूजर संपत्तियों को डीनोटिफाई किया, तो इस समस्या होगी.” कोर्ट ने पूछा कि आप वक्फ बाय यूजर का रजिस्ट्रेशन कैसे करेंगे? क्योंकि हो सकता है पुरानी संपत्तियों के दस्तावेज न हों. सीजेआई ने केंद्र से पूछा है कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है. क्या गैर-हिंदू को हिंदू इंडोमेंट में शामिल कर सकते हैं. क्या गैर हिंदू- हिंदू धार्मिक बोर्ड का हिस्सा होंगे. अधिनियम की वैधता को चुनौती इस एक्ट की वैधता को चुनौती देते हुए AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड , जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी तथा मोहम्मद जावेद सहित 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं. वहीं, जवाब में केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की और मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग की.