उत्तराखंड का अपना इंट्रानेट, आपदा में होगा कारगर, किसी भी मौसम में करेगा काम, जानिये दूसरी खासियतें – RUDRAPRAYAG INTRANET TOWER
रुद्रप्रयाग जिले ने आपदा प्रबंधन और संचार व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार की पहल पर जिले में एक अत्याधुनिक डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क (DDRN) स्थापित किया गया है, जो किसी भी मौसम या आपदा के दौरान निर्बाध रूप से काम करेगा।
आपदा के दौरान नेटवर्क बंद नहीं होगा
यह विशेष वायरलेस नेटवर्क जिले के 250 किलोमीटर के दायरे को कवर करता है और किसी भी प्राकृतिक आपदा या विकट परिस्थिति में सुचारू रूप से संचालित रहेगा। केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई जुलाई 2024 की त्रासदी के दौरान भी इस नेटवर्क ने यात्रियों और प्रशासन के बीच संचार बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी।
स्कूलों और प्रशासनिक कार्यालयों को भी जोड़ा गया
इस नेटवर्क को 36 इंटर कॉलेजों और अन्य प्रशासनिक कार्यालयों से जोड़ा गया है, जिससे छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। पंचायत भवनों में भी यह सेवा दी जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आपात स्थिति में तत्काल सूचना मिल सके।

टावर सुरक्षित स्थानों पर स्थापित
नेटवर्क के टावरों को आपदा-निरोधी स्थानों पर स्थापित किया गया है। प्रमुख स्थानों में डुंगरी, सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण, गुप्तकाशी, चंद्रपुरी, केदारनाथ पैदल मार्ग और अन्य ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं। इस नेटवर्क का नियंत्रण आपदा कंट्रोल रूम से किया जाता है, जहां से सभी गतिविधियों की निगरानी की जाती है।
बिना बड़ी लागत के हुआ विकास
इसे जिला प्लान, खनन न्यास निधि और स्थानीय स्रोतों से वित्त पोषित किया गया है। किसी भी सरकारी या केंद्र सरकार के फंड का उपयोग नहीं किया गया, जिससे यह एक स्व-निर्भर परियोजना बनी है।
केदारनाथ यात्रा और आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान
इस इंट्रानेट से न केवल यात्रियों की निगरानी और संचार में सहायता मिलेगी, बल्कि आपदा स्थलों की रियल-टाइम निगरानी, घोड़े-खच्चरों की ट्रैकिंग, पार्किंग और ट्रैफिक नियंत्रण जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। यह नेटवर्क प्रशासन को राहत और बचाव कार्यों को तेज़ी से संचालित करने में मदद करेगा।
इंट्रानेट: क्या है और कैसे करता है काम?
इंट्रानेट एक निजी कंप्यूटर नेटवर्क है, जो संस्था के भीतर सूचना के आदान-प्रदान और डेटा सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है। यह इंटरनेट की तरह ही कार्य करता है, लेकिन बाहरी दुनिया से पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
रुद्रप्रयाग के लिए बड़ी उपलब्धि
आपदाग्रस्त जिले में इस नेटवर्क की स्थापना एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में कारगर साबित होगा, बल्कि प्रशासनिक कार्यों और डिजिटल सेवाओं को भी नए आयाम देगा।
👉 इस नेटवर्क से उत्तराखंड के अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल पेश की गई है, जिससे भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी संचार व्यवस्थाएं विकसित की जा सकती हैं।