दिल्ली में राहुल गांधी-तेजस्वी यादव की अहम मुलाकात, बिहार चुनाव की रणनीति पर चर्चा
बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी दिल्ली में महागठबंधन के दो प्रमुख दलों—राजद और कांग्रेस—के बीच अहम बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मौजूद रहे। बैठक मंगलवार, 15 अप्रैल को दिल्ली स्थित खरगे के आवास पर संपन्न हुई, जिसकी राजनीतिक हलकों में खूब चर्चा हो रही है।
बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लवरु, राजद सांसद मनोज झा और संजय यादव भी उपस्थित रहे। सूत्रों के अनुसार, इसमें सीटों के बंटवारे समेत अन्य चुनावी मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई।
तेजस्वी यादव ने दी जानकारी
राजद नेता तेजस्वी यादव ने बैठक को ‘सकारात्मक’ बताया। उन्होंने कहा, “हम सभी ने मिलकर बातचीत की और 17 अप्रैल को पटना में गठबंधन के सभी सहयोगियों के साथ बैठक करेंगे। हम पूरी तरह से तैयार हैं और बिहार को आगे ले जाने के लिए संकल्पित हैं।”
तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों में राज्य में सबसे अधिक गरीबी, कम प्रति व्यक्ति आय और व्यापक पलायन जैसी समस्याएं बनी रहीं। उन्होंने कहा, “हम मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।” मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर उन्होंने कहा कि सब कुछ चर्चा के बाद स्पष्ट होगा।
17 अप्रैल को गठबंधन समिति का गठन
जानकारी के अनुसार, पटना में 17 अप्रैल को महागठबंधन की एक समन्वय समिति बनाई जाएगी, जो सभी दलों के साथ मिलकर चुनावी रणनीति तैयार करेगी। साथ ही राजद की ओर से यह संकेत भी दिया गया कि अगर पशुपति पारस चाहें, तो उनके लिए गठबंधन के दरवाज़े खुले हैं।
RJD प्रवक्ता की प्रतिक्रिया
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह बिहार की जनता तय करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य की 14 करोड़ जनता पहले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री मान चुकी है। तिवारी ने कहा कि महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और मजबूती के साथ चुनावी तैयारियों में जुटा है।
उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पहले उन्हें अपने गठबंधन की फिक्र करनी चाहिए, जहां कई नेता खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रहे हैं।
भाजपा का पलटवार
बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने राजद-कांग्रेस गठबंधन को ‘बेमेल’ करार दिया। उन्होंने कहा कि दोनों दलों के एजेंडे अलग-अलग हैं और यह केवल एक-दूसरे की राजनीति को कमजोर करने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद कभी नहीं चाहेगी कि कांग्रेस बिहार में फिर से मजबूत हो, जबकि कांग्रेस खुद को राजद से बड़ा बनाना चाहती है।