राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में की शिरकत, 16 हजार से ज्यादा छात्रों को मिली डिग्रियां
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने स्नातक, स्नातकोत्तर और शोधार्थी छात्रों को उपाधियां प्रदान कीं और मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया।
समारोह का आयोजन डीएसबी परिसर स्थित ए.एन. सिंह सभागार में किया गया, जिसमें राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गुरमीत सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, कुलपति प्रो. डी.एस. रावत और कुलसचिव मंगल सिंह मंद्रवाल मौजूद रहे।
🎓 16,183 छात्रों को मिली उपाधि
दीक्षांत समारोह में कुल 16,183 छात्रों की डिग्री का अनुमोदन किया गया। इनमें 9,788 छात्राएं और 6,395 छात्र शामिल रहे।
- स्नातक स्तर पर 7,823 छात्राओं और 1,965 छात्रों को उपाधि दी गई।
- स्नातकोत्तर वर्ग में 5,067 छात्राओं और 1,328 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई।
📜 234 शोधार्थियों को मिली पीएचडी की डिग्री
कार्यक्रम के दौरान 234 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। इनमें 90 पुरुष और 144 महिलाएं शामिल थीं।
इसके अलावा, तीन विशिष्ट शोधकर्ताओं को डी.लिट (D.Litt) की उपाधि से सम्मानित किया गया।
🏅 मेधावी छात्रों को मिला स्वर्ण पदक
राष्ट्रपति मुर्मू ने मेधावी छात्रों को पदक देकर सम्मानित किया। स्वर्ण पदक पाने वालों में
अदिति गोयल, अपर्णा जोशी, हर्ष तिवारी, हर्षित जोशी, हर्षिता कबड़ियाल, हर्षिता सक्सेना, हिमानी चौसाली, खुशी देवाल, खुशी खाती, लवली नेगी, मीतू गोयल, नेहा डोबाल, निखिल बिष्ट, निकिता सिंह, पूजा बिष्ट, प्रियांका रावत, राशि उप्रेती और रेनू नेगी शामिल रहीं।
इन छात्रों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से विश्वविद्यालय और प्रदेश का नाम रोशन किया।
🗣️ राष्ट्रपति ने छात्रों और विश्वविद्यालय की सराहना की
अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्रों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और कुमाऊं विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान हिमालय क्षेत्र के संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे शिक्षा को समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण से जोड़ें।
🌿 समारोह का महत्व
कुमाऊं विश्वविद्यालय का यह 20वां दीक्षांत समारोह न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रतीक बना, बल्कि इसने उत्तराखंड में उच्च शिक्षा के नए मानक स्थापित किए।

