आंख के नीचे चोट लगी, फिर भी देश के लिए जीता मेडल — जानिए जुजित्सु स्टार प्रज्ञा जोशी की प्रेरक कहानी
देहरादून, 9 नवम्बर 2025 — थाईलैंड में आयोजित वर्ल्ड जुजित्सु चैंपियनशिप 2025 में उत्तराखंड की बेटी प्रज्ञा जोशी ने भारत का नाम रोशन किया है। कठिन मुकाबले के दौरान आंख के नीचे चोट लगने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और ब्रॉन्ज मेडल (कांस्य पदक) अपने नाम किया। देहरादून लौटने पर प्रज्ञा का भव्य स्वागत हुआ, जहां उन्होंने अपने संघर्ष और समर्पण की कहानी साझा की।
“चोट लगी, आंखों के आगे अंधेरा छा गया, फिर भी लड़ी”
प्रज्ञा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया,
“फाइनल राउंड में वियतनाम की खिलाड़ी के साथ मुकाबले के दौरान मुझे आंख के नीचे जोरदार मुक्का लगा। कुछ सेकंड के लिए आंखों के आगे अंधेरा छा गया, लेकिन मैंने ग्रिप नहीं छोड़ी।”
उन्होंने कहा कि चोट के कारण कुछ पॉइंट्स खो दिए, नहीं तो गोल्ड मेडल जीत सकती थीं। फिर भी, 77 देशों के खिलाड़ियों के बीच भारत का तिरंगा लहराना उनके लिए गर्व का क्षण था।
रानीखेत की बेटी, जिसने नौकरी छोड़ी खेल के लिए
प्रज्ञा जोशी का जन्म उत्तराखंड के रानीखेत में हुआ। वो बचपन से ही खेलों में रुचि रखती थीं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कराटे से की और 10 बार स्टेट चैंपियन, फिर नेशनल और इंटरनेशनल चैंपियन बनीं।
खेल उपलब्धियों के बाद उन्हें उत्तराखंड पुलिस में नौकरी मिली और विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया। लेकिन, खेल के लिए समय न मिल पाने के कारण उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर अपना पूरा ध्यान जुजित्सु को समर्पित किया।
“सरकारी नौकरी छोड़ना आसान नहीं था, लेकिन मेरा सपना बड़ा था — देश के लिए मेडल जीतना,” प्रज्ञा ने कहा।
20 साल की मेहनत का फल — वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज
लगातार अभ्यास और समर्पण के बाद प्रज्ञा ने वर्ल्ड जुजित्सु चैंपियनशिप 2025, बैंकॉक में हिस्सा लिया और कांस्य पदक जीता।
“यह 20 साल की मेहनत का फल है। अब लक्ष्य गोल्ड मेडल है,” उन्होंने कहा।
पिता से मिली प्रेरणा, कोच ने पहचानी प्रतिभा
प्रज्ञा ने बताया कि बचपन में जब उन्होंने टीवी पर मार्शल आर्ट्स देखा, तो उन्होंने ठान लिया कि यही उनका रास्ता है। उनके पिता, जो एसएसबी में जूडो खिलाड़ी थे, ने उनके लिए खुद कपड़े सिलकर पहली मार्शल आर्ट ड्रेस तैयार की।
उनके स्कूल में कोच सतीश जोशी ने उनकी प्रतिभा पहचानी।
“पहले ही दिन जब वह ड्रेस पहनकर आई, मुझे उसमें भविष्य की चैंपियन नजर आई,” कोच सतीश ने बताया।
अब लड़कियों को बना रहीं आत्मनिर्भर
नौकरी छोड़ने के बाद प्रज्ञा ने ऋषिकेश में ‘सेल्फ डिफेंस अकादमी’ की स्थापना की, जहां वह ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को मुफ्त प्रशिक्षण देती हैं।
“हर लड़की को अपनी सुरक्षा खुद करनी आनी चाहिए। कॉम्बैट गेम्स उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं,” उन्होंने कहा।
वो बताती हैं कि उनकी अकादमी में कई लड़कियां अब नेशनल लेवल तक पहुंच चुकी हैं।
📌 प्रमुख बातें (Highlights)
- थाईलैंड वर्ल्ड जुजित्सु चैंपियनशिप में प्रज्ञा जोशी ने जीता ब्रॉन्ज मेडल
- मुकाबले के दौरान आंख पर लगी चोट के बावजूद नहीं छोड़ी जंग
- सरकारी नौकरी छोड़कर पूरी तरह खेल को समर्पित किया
- अब ऋषिकेश में लड़कियों को सिखा रही हैं सेल्फ डिफेंस और कॉम्बैट ट्रेनिंग
- कहा — “लक्ष्य है, इस ब्रॉन्ज को गोल्ड में बदलना”
📰 मेटा विवरण (Meta Description)
“थाईलैंड वर्ल्ड जुजित्सु चैंपियनशिप में आंख पर चोट लगने के बावजूद उत्तराखंड की प्रज्ञा जोशी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। जानिए कैसे नौकरी छोड़कर उन्होंने देश के लिए लिखा नया इतिहास।”

