8 दिन के बाद मुख्यमंत्री धामी ने मांगी बेरोजगार छात्रों की मांगें
देहरादून: उत्तराखंड में पेपर लीक को लेकर छात्रों के आंदोलन के आठवें दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने युवाओं के बीच जाकर उनकी मांगों को स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया, जिसके बाद बेरोजगार संघ ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वार्ता कार्यालय में भी हो सकती थी, लेकिन धरना स्थल पर आना उन्होंने बेहतर समझा, ताकि वे एक अभिभावक और दोस्त के रूप में युवाओं के साथ खड़े दिखें। धामी ने गर्मी और त्योहारी सीजन में युवाओं की परेशानी को स्वीकारते हुए रिकॉर्ड 25,000 नौकरियों के साथ सख्त नकल विरोधी कानून लागू करने का जिक्र किया। उन्होंने आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने की घोषणा कर युवाओं को सुरक्षित भविष्य का भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री का छात्रों के बीच पहुंचना उनकी छवि के लिए सकारात्मक साबित हुआ। हाल ही तक छात्रों के प्रदर्शन के दौरान धामी के खिलाफ नारेबाजी हो रही थी, जो उनके कार्यकाल में पहली बार देखने को मिला।
बेरोजगार संघ के इस आंदोलन में मुख्यमंत्री पर नकल माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप लग रहे थे, और उनके नाम पर तंज कसने वाले गाने भी प्रदर्शन में गूंज रहे थे, जिससे वे प्रमुख निशाने पर थे। पिछले सात दिनों में सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने के लिए विभिन्न प्रयास किए, जैसे बेरोजगार संघ के साथ वार्ता, हरिद्वार से बसों में छात्रों को लाकर समर्थन जुटाने की कोशिश, और नए कर्मचारियों से वीडियो बनवाकर सरकार की उपलब्धियां दिखाने का प्रयास। इसके अलावा, बीजेपी प्रवक्ताओं ने बॉबी पंवार पर छात्रों को गुमराह करने का आरोप लगाया, वहीं परेड ग्राउंड में आंदोलन के विरोध में धरना तक आयोजित हुआ। विधायकों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में सरकार का बचाव करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को कहा गया।
हालांकि, बेरोजगार संघ ने इन सभी रणनीतियों का पर्दाफाश किया और सोशल मीडिया पर आंदोलन को भगवा या देश विरोधी बताने की कोशिशों का जवाब भी दिया। सात दिन तक आंदोलन कमजोर न होने और मुख्यमंत्री की छवि पर पड़ रहे असर को देखते हुए, आठवें दिन धामी ने परेड ग्राउंड पहुंचकर स्थिति संभाली। उन्होंने छात्रों की सभी मांगें मान लीं, जिसमें पेपर लीक की सीबीआई जांच शामिल है। यह कदम दशहरा के 2 अक्टूबर को परेड ग्राउंड खाली कराने की जरूरत को भी ध्यान में रखकर उठाया गया, क्योंकि आंदोलन को बलपूर्वक हटाने से और विवाद बढ़ सकता था।
मुख्यमंत्री की इस समझदारी की तारीफ हो रही है, लेकिन उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्रेय ले लिया, दावा करते हुए कि सीबीआई जांच की मांग उन्होंने ही उठाई थी। दूसरी ओर, प्रदेश के विभिन्न जिलों—हल्द्वानी, बड़कोट, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चमोली—में छात्रों का व्यापक विरोध देखा गया। हल्द्वानी में भूख हड़ताल पर बैठे भूपेंद्र कोरंगा को प्रशासन ने हटाया, जबकि बड़कोट में मशाल जुलूस निकाला गया।
यह सरकार के लिए चेतावनी थी, खासकर 2023 के गांधी पार्क लाठीचार्ज की याद को देखते हुए, जो धामी सरकार के लिए शर्मिंदगी का कारण बना था। वहीं, आंदोलन को हाईजैक करने के आरोप झेल रही सरकार को अंततः वही मांगें माननी पड़ीं, जो बॉबी पंवार जैसे नेताओं ने उठाईं, जिससे स्वाभिमान मोर्चा को राजनीतिक लाभ मिल सकता है। हालांकि, छात्रों की यह लड़ाई सड़क से सदन तक पहुंचे, इसके लिए एकजुटता जरूरी है, जो वर्तमान में स्वाभिमान मोर्चा, मुलनिवास संघर्ष समिति और उत्तराखंड क्रांति दल जैसे संगठनों में दिखाई नहीं दे रही।
सीबीआई जांच की शुरुआत का इंतजार है, और उम्मीद है कि यह सिर्फ आंदोलन रोकने का बहाना न बने, बल्कि नकल माफियाओं का पर्दाफाश हो। सोमवार को धामी ने युवाओं के बीच पहुंचकर उनकी शंकाओं को दूर किया और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का वादा किया।