पंचायत चुनाव के बीच यूकेडी मंच पर पहुंचे नेगी दा, उत्तराखंड की राजनीति पर दी खरी-खरी – NARENDRA SINGH NEGI
उत्तराखंड में चल रहे पंचायत चुनावों के बीच लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी उर्फ नेगी दा गुरुवार, 24 जुलाई को उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के मंच पर नजर आए। हालांकि यह कार्यक्रम सीधे तौर पर राजनीतिक नहीं था, लेकिन मंच से उठे सवाल और बातें पूरी तरह राजनीतिक ही रहीं। इस दौरान नेगी दा ने यूकेडी को नसीहतें देते हुए कड़वा सच भी सुनाया।
दरअसल, देहरादून प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में यूकेडी के पूर्व अध्यक्ष और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अहम नेता दिवाकर भट्ट पर आधारित पुस्तक “उत्तराखंड राज्य आंदोलन” का विमोचन हुआ। इस पुस्तक को जगमोहन सिंह बिष्ट ने लिखा है और इसका लोकार्पण नरेंद्र सिंह नेगी ने किया।
मंच से नेगी दा ने उत्तराखंड की वर्तमान हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश की दुर्दशा से उबरने के लिए जनता और क्षेत्रीय ताकतों को एकजुट होकर आगे आना होगा। उन्होंने अपने एक गीत के माध्यम से राज्य की जनता को जागरूक और सक्रिय होने का संदेश भी दिया।
यूकेडी को दिखाया आइना
अपने संबोधन में नेगी दा ने यूकेडी के नेताओं को कड़वे सच का सामना करवाया। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के 25 साल बाद भी यूकेडी की स्थिति दयनीय बनी हुई है। जो जनसमर्थन पार्टी को शुरू में मिला था, वह अब नेताओं की गलतियों की वजह से खत्म हो गया है।
नेगी दा का मानना है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने सत्ता के सुख के लिए संघर्ष छोड़ दिया, जबकि उन्हें जनता के विश्वास को मजबूत करते हुए विपक्ष में भी सक्रिय रहना चाहिए था। यही कारण है कि यूकेडी जनता के दिलों से दूर हो गया।
उन्होंने ये भी कहा कि यूकेडी को ग्रासरूट लेवल पर काम करने की सख्त जरूरत है। यहां तक कि पंचायत चुनावों में भी पार्टी की सक्रियता बेहद कमजोर रही, जिससे युवाओं का संघर्ष और अधिक बढ़ गया है।
जयप्रकाश उपाध्याय ने नेगी दा से जताई सहमति
यूकेडी के केंद्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश उपाध्याय ने नेगी दा के विचारों से पूर्ण सहमति जताते हुए कहा कि नेगी दा राज्य आंदोलन के प्रणेता रहे हैं और उन्होंने लोक संस्कृति के माध्यम से हमेशा लोगों को जागरूक करने का कार्य किया है।
उपाध्याय ने कहा कि नेगी दा ने मंच से जो पीड़ा व्यक्त की, वह एक सच्चाई है। यूकेडी को आज भी उत्तराखंड की क्षेत्रीय अस्मिता बचाने के लिए एक मजबूत विकल्प बनने की जरूरत है।