दुःखद घटना: आतंकी हमले में उत्तराखंड के 5 जवान शहीद
उत्तराखंड के पांच जवान शहीद हो गए हैं। नायब सूबेदार आनंद सिंह, हवलदार कमल सिंह, एनके विनोद सिंह, आरएफएन अनुज नेगी, और आरएफएन आदर्श नेगी जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सोमवार 8 जुलाई को आतंकी हमले में शहीद हो गए। जम्मू-कश्मीर में 3 महीनों में यह चौथा बड़ा हमला है। इससे पहले रियासी में 2 कौड़ी के बुजदिल आतंकियों ने 9 लोगों की जान ली थी। और अब इस बार फिर से 2 कौड़ी के इन नामर्द आतंकियों ने छिपकर सुरक्षाकर्मियों के वाहन पर जानलेवा हमला किया, जिसमें 5 जवान शहीद हुए और 5 जवान घायल हो गए।
उत्तराखंड के इन शहीद जवानों के बारे में पहले जान लेते हैं। नायब सूबेदार आनंद सिंह रुद्रप्रयाग के कंडाखाल के रहने वाले थे। हवलदार कमल सिंह पौड़ी जिले के नौदानु के रहने वाले थे। एनके विनोद सिंह टिहरी जिले के खंडोगी के रहने वाले थे। आरएफएन अनुज नेगी पौड़ी के धमधार के रहने वाले थे। आरएफएन आदर्श नेगी भी टिहरी जिले के थाटी डागर के रहने वाले थे।

सोमवार करीब 4 बजे के आसपास कठुआ शहर के करीब 130 से 150 किलोमीटर दूर बडनोटा के पास आतंकियों ने सेना के वाहन पर ग्रेनेड से हमला किया। रास्ता खराब होने की वजह से वाहन आराम से भी चल रहा था। सड़क के एक तरफ ऊंची पहाड़ी और दूसरी तरफ खाई थी, जिस वजह से आतंकियों ने वाहन को निशाना बनाया।

आतंकियों ने हमले का दिन वही चुना था, जिस दिन सुरक्षाबलों ने चरमपंथी बुरहान वानी को मार गिराया था। 8 जुलाई 2016 को चरमपंथी बुरहान वानी को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के बाद मौत के घाट उतारा था। बुरहान वानी हिज़्बुल मुजाहिदीन का कमांडर था। बुरहान के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसक झड़पें भी हुई थीं।

बुरहान वानी की बरसी के दिन सुरक्षाबलों पर हमले के इनपुट सुरक्षा एजेंसियों को पिछले कुछ दिनों से लगातार मिल रहे थे, जिसके चलते सेना भी हाई अलर्ट पर थी। बाकायदा सभी एजेंसियों को एहतियात बरतने के निर्देश थे। लेकिन फिर भी इतना बड़ा हमला हो गया।

वहीं सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। उधर, सेना ने ऑपरेशन में पैरा कमांडो को भी शामिल कर लिया है। उन्हें एयरलिफ्ट कर हमले वाले इलाके में ले जाया गया है। सेना की ओर से पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली गई है।
लेकिन सवाल यह है कि आखिर क्यों कश्मीर में आतंकी हमले रुकने का नाम नहीं लिया जा रहा है। धारा 370 हटने के बाद और नौट बंदी जैसे फैसलों के बाद कई सारे दावे किए गए थे कि जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद कम हो चुका है। लेकिन एक के बाद एक हमलों में ये आतंकी आम लोगों को, जवानों को मार रहे हैं। केंद्र सरकार का मानना है कि आतंकवाद कम हुआ है, लेकिन तब तक जब तक समस्या को समस्या ही नहीं माना जाएगा, तब तक उसे दूर कैसे किया जाएगा।