तीसरे वनडे में भारत की शर्मनाक हार, क्या है वजह ?
भारत की एक और शर्मनाक हार हुई है। विश्व विजेता भारतीय टीम श्रीलंका जैसी कमजोर टीम से 2 मैच लगातार हार जाती है और 27 साल बाद अपने देश में कोई सीरीज भारत से जीतती है। भारत की टीम ने जितना खराब क्रिकेट खेला उतना ही अच्छा क्रिकेट श्रीलंका टीम की ओर से देखने को मिला। पहला वनडे ड्रॉ और फिर दूसरे में नाकामी और अब तीसरे में करारी शिकस्त के बाद भारत की नई टीम पर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं।

भारत की टीम नए प्लेइंग इलेवन के साथ तीसरे वनडे में खेलने के लिए उतरी लेकिन फिर भी बहुत बड़ी हार देखने को मिली। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 248 रन बनाए, जिसमें अविश्का फर्नांडो के 102 गेंदों में 96 रन, कुसल मेंडिस के 82 गेंदों में 59 रन और पथुम निसंका के 65 गेंदों में 45 रन शामिल हैं। श्रीलंका की टीम ने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए भारत को पिच के हिसाब से चेज करने के लिए अच्छा स्कोर दिया। लेकिन भारतीय बल्लेबाज हर मैच की तरह इस मैच में भी पूरे 50 ओवर तक नहीं खेल पाए। केवल रोहित और सुंदर के बल्ले से ही 30-30 रन निकले, बाकी किसी ने भी कुछ खास नहीं किया। पूरी भारतीय टीम 26.1 ओवर में केवल 138 रन ही बना पाई और 110 रनों के एक बड़े अंतर से मैच हार गई। श्रीलंका की गेंदबाजी में फिर से स्पिनर्स छाए रहे। इस मैच में दुनिथ वलालगे ने 5 विकेट चटकाए, वहीं पिछले मैच में 6 विकेट लेने वाले जैफरी वैंडरसे ने 2 और महीश तीक्षना ने भी 2 विकेट लिए।

भारत जितने खराब तरीके से स्पिनर्स को खेल रहा है उसे देख कर यह लग ही नहीं रहा है कि हमारी टीम से कई सारे ऐसे दिग्गज निकले हैं जो स्पिन खेलने के एक्सपर्ट माने जाते थे। भारत ने वनडे में जिस तरह की तैयारी की थी शायद वह उनके मन मुताबिक नहीं थी, इसलिए टीम एक भी मैच जीतने में सफल नहीं हुई। यहां तक कि जीता हुआ मैच भी टाई पर ही खत्म हुआ। कौन कह सकता है कि यह वही टीम है जो अभी-अभी वर्ल्ड कप जीतकर आई है। भारत की बल्लेबाजी में केवल रोहित ही अभी तक कुछ सफल दिखे हैं। उनके अलावा भारत का कोई भी बल्लेबाज श्रीलंका की गेंदबाजी के सामने टिक ही नहीं पाया। 110 रनों की शिकस्त कोई छोटी शिकस्त नहीं होती है। भारतीय टीम के युवा खिलाड़ियों को शायद ज्यादा ही हवा लग चुकी है। जिन प्लेयर्स से वर्ल्ड कप जीतने के बाद अच्छी परफॉर्मेंस की उम्मीद की जा रही थी, वही प्लेयर्स एक के बाद एक मैच में फ्लॉप साबित हो रहे हैं। कहां चैंपियन बन के लौटी टीम से चैंपियन परफॉर्मेंस की उम्मीद की जा रही थी और कहां वह टीम लूजर्स की तरह खेल रही है।

भारतीय टीम को नया कोच मिला तो लग रहा था कि नए कोच के साथ नई भारतीय टीम सफलताओं के झंडे गाड़ेगी, लेकिन उल्टा हो गया। नए कोच के आते ही टीम में हुए सिलेक्शन पर सवाल खड़े हो गए और अब टीम की हार के बाद टीम सिलेक्शन पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां तक कि बैटिंग ऑर्डर में भी किए जा रहे बदलाव भी टीम की परफॉर्मेंस खराब होने का कारण रहे। गौतम गंभीर भारतीय टीम के साथ-साथ सवालों के कटघरे में हैं। भारतीय टीम में जिस तरह के बदलाव देखने को मिले पहले तो उन बदलावों की वाह-वाही हो रही थी, लेकिन अब लग रहा है कि टीम इंडिया में गंभीर मनमानी कर रहे हैं। क्योंकि श्रीलंकाई जैसी कमजोर टीम के साथ भारतीय टीम इतनी बुरी तरह से हार रही है तो ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड जैसी टीमों के साथ क्या होगा। भारतीय टीम की हार का मतलब यही है कि भारतीय टीम ने अभी तक जो भी कुछ नया करने की कोशिश की है उसमें वह फ्लॉप हो रहे हैं। ऐसे में अब गंभीर टीम इंडिया के साथ क्या नया करेंगे, यह देखने लायक होगा।