इगास पर्व पर मुख्यमंत्री आवास में झलकी देवभूमि की संस्कृति, सीएम धामी ने खेला ‘भैलो’
देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में पारंपरिक लोकपर्व इगास-बग्वाल की धूम पूरे प्रदेश में देखने को मिल रही है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री आवास में भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखंड की संस्कृति, लोक परंपरा और लोकगीतों की मनमोहक झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं पारंपरिक खेल ‘भैलो’ खेला और प्रदेशवासियों को इगास पर्व की शुभकामनाएं दीं।
🪔 देवभूमि की संस्कृति से सजा सीएम आवास
मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस कार्यक्रम में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। लोक कलाकारों ने पारंपरिक गीतों और नृत्यों के माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत किया।
कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.), मुख्यमंत्री धामी और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी भी पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियों में शामिल होते नजर आए।
🌄 इगास पर्व का महत्व
दीपावली के 11वें दिन मनाया जाने वाला इगास (बूढ़ी दीपावली) उत्तराखंड का एक प्रमुख लोक पर्व है। इसे फसल कटाई, पशुधन और पारिवारिक समृद्धि से जोड़ा जाता है।
इस पर्व का उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपनी मूल संस्कृति, परंपरा और लोकरीति से जोड़ना है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में विधायकों और जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इगास पर्व के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
🎊 राज्य स्थापना दिवस से जुड़ा इगास पर्व
इस बार का इगास पर्व विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन से उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25वें वर्ष (रजत जयंती वर्ष) के कार्यक्रमों की शुरुआत हुई है।
राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ को सरकार ने ‘राज्य जयंती वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत 1 नवंबर से 9 नवंबर 2025 तक पूरे प्रदेश में विभिन्न सांस्कृतिक और विकासात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले विशेष विधानसभा सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संबोधन करेंगी, जबकि 9 नवंबर को होने वाले मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है।
🗣️ सीएम धामी बोले — “इगास हमारी सांस्कृतिक आत्मा है”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व और बूढ़ी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा —
“हमारी लोक संस्कृति और परंपरा ही देवभूमि की पहचान है। किसी भी राज्य की लोक परंपरा उसकी आत्मा होती है, और इगास उसी आत्मा का प्रतीक है।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य के लोक पर्व हमारी सामाजिक एकता, परस्पर भाईचारे और जीवंतता को दर्शाते हैं।
“जैसे देशभर में सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना हो रही है, वैसे ही उत्तराखंडवासी भी आज गर्व के साथ अपने पारंपरिक पर्वों को मना रहे हैं। यह हमारी विरासत और अस्मिता का उत्सव है।”
🎶 लोक नृत्य, झांकियां और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद
कार्यक्रम के दौरान लोक कलाकारों ने रणभूत नृत्य, छपेली, झोड़ा और तांदी जैसे पारंपरिक नृत्यों की प्रस्तुति दी।
इसी के साथ स्थानीय व्यंजनों की झलक दिखाने वाली झांकियां और सांस्कृतिक प्रदर्शनी ने दर्शकों को उत्तराखंड की विविध लोक परंपराओं से रूबरू कराया।
📸 कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग हुए शामिल
इस अवसर पर प्रदेश के जनप्रतिनिधि, मंत्रीगण, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और आम नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। मुख्यमंत्री आवास का वातावरण पूरी तरह सांस्कृतिक उत्सव और लोक उल्लास से सराबोर नजर आया।

