उत्तरकाशी धराली त्रासदी से जुड़ी ‘राम तेरी गंगा मैली’ की यादें, 40 साल बाद भी जिंदा हैं हर्षिल वैली के निशां
उत्तरकाशी (उत्तराखंड):
हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और पर्यटन स्थलों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़, शांत नदियां, झरने और घने जंगल यहां आने वाले हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इन्हीं खूबसूरत जगहों में से एक है हर्षिल घाटी, जो इन दिनों धराली आपदा के कारण सुर्खियों में है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह वही जगह है, जहां 1985 में राज कपूर की मशहूर फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ की शूटिंग हुई थी, जिसने हर्षिल को पर्यटन मानचित्र पर अमर कर दिया।

फिल्म से जुड़ी हर्षिल की पहचान
राज कपूर हर्षिल और धराली की प्राकृतिक सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फिल्म के कई अहम दृश्य यहीं फिल्माए। फिल्म के रिलीज होते ही इस घाटी की वादियां और झरने पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए।
सबसे यादगार दृश्य—अभिनेत्री मंदाकिनी का झरने के नीचे फिल्माया गया सीन—यहीं शूट हुआ था। इस झरने का नाम बाद में ‘मंदाकिनी झरना’ पड़ गया। ‘हुस्न पहाड़ों का’ और ‘ओ साहिबा’ जैसे लोकप्रिय गाने भी यहीं के बर्फीले पहाड़ों, घने देवदार के जंगलों और भागीरथी नदी के किनारे फिल्माए गए।

भारत-चीन सीमा का आखिरी डाकघर
फिल्म का एक और प्रसिद्ध दृश्य हर्षिल में भारत-चीन सीमा पर स्थित आखिरी डाकघर के पास शूट किया गया था, जहां मंदाकिनी चिट्ठी का इंतजार करती नजर आती हैं। आज भी यह डाकघर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां प्रशासन ने फिल्म के उस दृश्य का पोस्टर भी लगाया हुआ है, ताकि आने वाले लोग इस ऐतिहासिक शूटिंग लोकेशन को पहचान सकें।
भारत का ‘स्विट्जरलैंड’
धराली और हर्षिल को अक्सर भारत का ‘स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है। चारों तरफ बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां, भागीरथी का शांत बहाव और देवदार के घने जंगल इस जगह को किसी स्वर्ग से कम नहीं बनाते। सर्दियों में यहां की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है, जब बर्फ की चादर पूरे क्षेत्र को ढक लेती है।
वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल
उत्तरकाशी जिला चीन सीमा से सटा हुआ है, इसलिए हर्षिल घाटी के आठ गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया गया है। 2016-17 में यहां से ‘इनर लाइन’ का प्रतिबंध हटने के बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मास्टर प्लान के तहत कई प्रोजेक्ट शुरू किए गए। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक बगोरी, धराली और मुखबा गांव घूमने आते हैं।
धराली आपदा का भयावह मंजर
5 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 1:30 बजे खीरगंगा नदी के ऊपर बादल फटने से धराली में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने पूरे इलाके को तबाह कर दिया। तेज बहाव और मलबे ने धराली बाजार को पूरी तरह जमींदोज कर दिया। कई होटल, दुकानें और घर मलबे में दब गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह नजारा किसी हॉलीवुड फिल्म के विनाशकारी सीन जैसा था—लोग जान बचाने के लिए चीखते-चिल्लाते भाग रहे थे।
राहत और बचाव कार्य
तीसरे दिन तक भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 250 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन कई लोग अब भी लापता हैं। भारतीय वायुसेना ने एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों को राहत कार्य में लगाया है।

प्रकृति के साथ संतुलन की सीख
वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि धराली की यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। जिस जगह को कभी राज कपूर ने अपनी फिल्म के जरिए दुनिया के सामने पेश किया था, वह आज मदद की पुकार लगा रही है।