रुद्रप्रयाग: प्राथमिक शिक्षक भर्ती काउंसिलिंग में अभ्यर्थियों को निराशा, वेबसाइट और काउंसिलिंग सूची में अंतर
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए आयोजित काउंसिलिंग प्रक्रिया में अभ्यर्थियों को उस समय निराशा का सामना करना पड़ा जब उन्हें वेबसाइट पर जारी सूची और प्रत्यक्ष काउंसिलिंग के लिए प्रदर्शित सूची में भिन्नता मिली। रुद्रप्रयाग स्थित जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक के कार्यालय पर दूर-दूर से पहुंचे अभ्यर्थियों को इस विसंगति के कारण खाली हाथ लौटना पड़ा।
1600 नामों वाली सूची से गायब थे कई अभ्यर्थी
अभ्यर्थियों ने बताया कि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर लगभग 1600 नामों की एक विस्तृत सूची जारी की गई थी। इसके विपरीत, जब वे काउंसिलिंग के लिए पहुंचे, तो वहां एक संक्षिप्त सूची प्रदर्शित की गई, जिसमें कई अभ्यर्थियों के नाम गायब थे। इस असमंजस की स्थिति ने देहरादून, उत्तरकाशी, बागेश्वर और ऊधमसिंह नगर जैसे दूरस्थ जिलों से आए उम्मीदवारों को खासा परेशान किया।
महिला अभ्यर्थियों को छोटे बच्चों के साथ लौटना पड़ा खाली हाथ
कई महिला अभ्यर्थी अपने छोटे बच्चों को साथ लेकर पहुंची थीं, लेकिन सूची में नाम न होने के कारण उन्हें बिना काउंसिलिंग के वापस लौटना पड़ा। अभ्यर्थियों ने कहा कि अगर चयनित उम्मीदवारों की अंतिम सूची पहले ही जारी कर दी जाती, तो उनका समय, श्रम और यात्रा खर्च बर्बाद नहीं होता।
क्या है विभाग का पक्ष?
इस मामले पर जब जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक कार्यालय से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्पष्टीकरण दिया। कार्यालय के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एनआईओएस डीएलएड योग्यता धारकों को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया गया था। इस कारण से, वेबसाइट पर जारी प्रारंभिक सूची में सभी पात्र अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए गए थे। हालांकि, विभाग ने पहले ही रिक्त पदों की संख्या सार्वजनिक कर दी थी और यह भी स्पष्ट किया था कि जैसे ही पद भर जाएंगे, काउंसिलिंग प्रक्रिया उसी क्रम में रोक दी जाएगी।
कार्यालय के अधिकारी ने बताया कि काउंसिलिंग के दिन प्रदर्शित सूची रिक्त पदों की संख्या और वरीयता के आधार पर तैयार की गई थी। उन्होंने अभ्यर्थियों से अपील की कि वे विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें ताकि भविष्य में इस प्रकार की असुविधा से बचा जा सके।
पारदर्शिता पर उठे सवाल
बहरहाल, इस घटना ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दूर-दराज से आए अभ्यर्थियों को हुई परेशानी ने विभाग की कार्यशैली पर भी अंगुली उठाई है