उत्तराखंड राज्य निगम कर्मचारी महासंघ की बैठक: लंबित मांगों पर रोष, आंदोलन की चेतावनी
देहरादून, 17 दिसंबर 2025 उत्तराखंड राज्य निगम कर्मचारी महासंघ की महत्वपूर्ण बैठक बु उत्तराखंड रोडवेज इम्पलाइज यूनियन के प्रांतीय कार्यालय, 66 गांधी रोड, देहरादून में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने की, जबकि संचालन प्रदेश महामंत्री नन्दलाल जोशी ने किया। विभिन्न निगमों से जुड़े घटक संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, कार्यकारिणी सदस्यों और प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
बैठक में उत्तराखंड परिवहन निगम, जल संस्थान, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण, स्वजल, वन विकास निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम, दुग्ध संघ, जिला पंचायत और बहुउद्देशीय वित्तीय विकास निगम सहित कई विभागों के कर्मचारियों ने अपनी समस्याएं रखीं। सभी ने एक स्वर में सरकार की उदासीनता पर गहरा असंतोष जताया।

मुख्य मुद्दे:
- विनियमितीकरण: संविदा, तदर्थ, अंशकालिक, दैनिक वेतनभोगी, वर्कचार्ज और उपनल कर्मचारियों की कटऑफ डेट 4 दिसंबर 2018 को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 करने की मांग। परिवहन निगम के विशेष श्रेणी चालक-परिचालक और तकनीकी कर्मचारियों को नियमावली में शामिल करने की जरूरत।
- दुग्ध संघ कर्मचारी: सातवें वेतनमान का लाभ न मिलना और पिछले तीन वर्षों से लंबित महंगाई भत्ता। सहकारी दुग्ध शालाओं में कार्यरत कर्मचारियों की स्थिति पर भी बैठक में गंभीर चिंता व्यक्त की गई। बताया गया कि इन कर्मचारियों को अब तक सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि छठे वेतनमान के अंतर्गत मिलने वाला महंगाई भत्ता भी पिछले तीन वर्षों से लंबित है। महासंघ ने मांग की कि दुग्ध शालाओं में कार्यरत सभी कर्मचारियों को अन्य निगमों की भांति सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए और जब तक यह लागू नहीं होता, तब तक रोके गए सभी महंगाई भत्तों का तत्काल भुगतान किया जाए।
- जल संस्थान: बिना नीति के किए गए स्थानांतरणों को निरस्त करने की मांग। उत्तराखण्ड जल संस्थान में बिना सीजन एवं नीति के विरुद्ध किए गए स्थानांतरणों का मुद्दा भी बैठक में प्रमुखता से उठाया गया। महासंघ ने ऐसे सभी स्थानांतरण आदेशों को तत्काल निरस्त करने की मांग की, ताकि कर्मचारियों को अनावश्यक मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक परेशानी से राहत मिल सके। इसके अतिरिक्त प्रदेश में परिवहन से जुड़े अवैध संचालन पर पूर्ण रोक लगाने की मांग भी बैठक में जोरशोर से उठाई गई। परिवहन निगम के पदाधिकारियों ने कहा कि अवैध संचालन के कारण निगम को भारी राजस्व हानि हो रही है और इसका सीधा असर कर्मचारियों के भविष्य पर पड़ रहा है।
- परिवहन निगम: अवैध बस संचालन पर पूर्ण रोक, ताकि निगम को राजस्व हानि न हो।
महासंघ ने बताया कि 9 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री को भेजा गया मांगपत्र अभी तक अनुत्तरित है। बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि पुनः मांगपत्र भेजा जाएगा और समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग की जाएगी।
प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने कहा, “कर्मचारी वर्षों से अनदेखी का शिकार हैं। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो महासंघ आंदोलन के लिए मजबूर होगा। हम कर्मचारियों के अधिकारों के लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करेंगे।” प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य के विभिन्न निगमों में कार्यरत कर्मचारी वर्षों से सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि महासंघ द्वारा बार-बार मांगपत्र भेजे जाने के बावजूद सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। यदि अब भी कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो राज्य निगम कर्मचारी महासंघ आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए महासंघ किसी भी स्तर पर संघर्ष से पीछे नहीं हटेगा।
प्रदेश महामंत्री नन्दलाल जोशी ने जोड़ा, “कर्मचारियों की मांगें पूरी तरह जायज हैं और इन्हें नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण है। विनियमितिकरण, वेतनमान, महंगाई भत्ता और अवैध संचालन जैसे मुद्दे सीधे कर्मचारियों के जीवन और भविष्य से जुड़े हैं। सरकार को चाहिए कि इन समस्याओं पर गंभीरता से विचार करे और शीघ्र निर्णय ले। यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ तो महासंघ को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
बैठक के अंत में सभी पदाधिकारियों ने कर्मचारियों के हितों के लिए एकजुट संघर्ष का संकल्प लिया। महासंघ की यह चेतावनी राज्य सरकार के लिए गंभीर संदेश है।

