टिहरी की सबसे कम उम्र की निर्विरोध ग्राम प्रधान बनीं शिवानी राणा, धारगांव ने रचा इतिहास
टिहरी गढ़वाल जिले के भिलंगना ब्लॉक की भिलंग पट्टी स्थित धारगांव ग्राम सभा ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए युवा बेटी शिवानी राणा को निर्विरोध ग्राम प्रधान चुन लिया है। खास बात यह है कि शिवानी टिहरी जिले की सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बन गई हैं।
क्या नया है?
✔ ग्रामीणों ने पहले ही तय कर दिया था कि शिवानी ही उनकी प्रधान होंगी।
✔ उम्र पूरी न होने की वजह से पहले नामांकन रद्द हुआ, लेकिन 21 वर्ष पूरा करते ही उपचुनाव में निर्विरोध चुना गया।
✔ टिहरी जिले में पहली बार इतनी कम उम्र की युवती को बिना विरोध के ग्राम प्रधान बनाया गया है।
✔ शिवानी पढ़ाई जारी रखते हुए गांव की जिम्मेदारी संभालेंगी।
नामांकन रद्द होने से लेकर प्रधान बनने तक का सफर
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 में शिवानी राणा—पुत्री विशाल सिंह राणा—ने प्रधान पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। हालांकि, उनकी उम्र कानूनी रूप से निर्धारित 21 वर्ष से तीन महीने कम होने के कारण नामांकन रद्द कर दिया गया।
शिवानी की जन्मतिथि 16 अक्टूबर 2004 है, और उन्हें 21 वर्ष की आयु पूरी करने के लिए 16 अक्टूबर 2025 तक इंतजार करना पड़ा।
उसी समय ग्रामसभा के ग्रामीणों ने सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी थी कि शिवानी ही भविष्य की प्रधान होंगी। ग्रामीणों ने यह भी साफ किया था कि आरक्षण श्रेणी बदले या न बदले, उनकी पसंद शिवानी ही रहेंगी।

निर्विरोध चुने जाने का बड़ा कारण: ग्रामीणों की एकजुटता
धारगांव में प्रधान पद ओबीसी महिला वर्ग के लिए आरक्षित था, और ग्रामीण शिवानी के पक्ष में पूरी तरह एकजुट रहे।
परिणामस्वरूप उपचुनाव में कोई अन्य प्रत्याशी सामने नहीं आया, और शिवानी को एकमात्र वैध नामांकन के आधार पर निर्विरोध प्रधान घोषित कर दिया गया।
यह फैसला गांव की युवा नेतृत्व पर विश्वास और पारदर्शी सोच को दर्शाता है।
शिक्षा और व्यक्तित्व: गांव की ‘युवा शक्ति’
शिवानी राणा ने पिछले वर्ष ही एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर कैंपस से बीएससी की डिग्री पूरी की है।
वे शुरू से ही—
• छात्र हितों से जुड़े मुद्दों
• सामाजिक गतिविधियों
• और रचनात्मक अभियानों
में सक्रिय रही हैं।
शिवानी ने बताया कि प्रधान बनने के बाद भी वे अपनी पढ़ाई ओपन यूनिवर्सिटी के माध्यम से जारी रखेंगी।
बड़ी बहन की जगह खुद को प्रधान चुने जाने पर क्या बोलीं शिवानी?
जब उनसे पूछा गया कि उनकी बड़ी बहन भी 21 वर्ष की हैं और वह भी प्रधान चुनी जा सकती थीं, तो शिवानी ने साफ कहा:
“गांव चाहता था कि प्रधान वही बने जो गांव में रहकर समय दे सके। मेरी बहन अभी पढ़ाई में व्यस्त है, इसलिए ग्रामीणों ने मुझे जिम्मेदारी सौंपी है।”
उनके इस जवाब ने ग्रामीणों के भरोसे और शिवानी की जिम्मेदारी दोनों की झलक दिखा दी।
गांव की उम्मीदें और नई जिम्मेदारी
शिवानी का निर्विरोध चुना जाना यह संकेत देता है कि गांव के लोग बदलाव के साथ-साथ युवा नेतृत्व को आगे लाना चाहते हैं।
अब गांव को उनसे—
• विकास कार्यों में तेजी
• युवा और महिलाओं की भागीदारी
• शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं के विस्तार
की बड़ी उम्मीदें हैं।
शिवानी राणा के कार्यकाल से धारगांव में नई ऊर्जा और नई दिशा का अंदाज़ा लगाया जा रहा है।

