उत्तरकाशी धराली आपदा: लैंडस्लाइड से गंगोत्री हाईवे ठप, ग्राउंड जीरो पर पहुंचे PWD के अपर सचिव विनीत कुमार
उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई भीषण आपदा के बाद अब राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की रफ्तार तेज हो गई है। धरासू बैंड से पहले हुए लैंडस्लाइड के चलते गंगोत्री हाईवे कई स्थानों पर पूरी तरह से बंद हो गया है। भारी बोल्डर और मलबे ने रास्तों को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे राहत दलों की पहुंच बाधित हो रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर सचिव विनीत कुमार को सौंपी गई जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग के अपर सचिव विनीत कुमार को ऋषिकेश से गंगोत्री तक सड़क मार्ग की स्थिति का मूल्यांकन करने और हाईवे को पुनः खोलने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विनीत कुमार ने खुद धरासू बैंड से पहले हाईवे के बाधित हिस्सों का निरीक्षण किया और बीआरओ की टीम के साथ मिलकर मार्ग को खोलने के निर्देश दिए।
JCB और पोकलेन से युद्धस्तर पर मलबा हटाने का प्रयास
लैंडस्लाइड के बाद तत्काल JCB और पोकलेन मशीनों को तैनात किया गया, ताकि हाईवे को जल्दी से जल्दी खोला जा सके। अपर सचिव विनीत कुमार ने कहा, “हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मार्ग जल्द से जल्द यातायात के लिए खोल दिए जाएं।”
धराली गांव में तबाही का मंजर, 40 से ज्यादा घर और होटल तबाह
धराली गांव में आई आपदा ने पूरे गांव के अस्तित्व को ही मिटा दिया है। पानी और मलबे की तेज धार में 40 से ज्यादा घर, लॉज, होटल और रेस्टोरेंट बह गए हैं। कई लोग अब भी लापता हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार आपदा का कारण धराली के ऊपरी हिस्से में बादल फटना बताया जा रहा है, लेकिन मौसम विभाग ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, अब तक 150 लोगों को बचाया गया
उत्तरकाशी जिले में रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर जारी है। आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार अब तक 150 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जबकि 15 लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें 8 सेना के जवान भी शामिल हैं।
हर्षिल आर्मी कैंप को भी नुकसान, सेना के जवान लापता
आपदा की चपेट में आकर हर्षिल स्थित सेना के कैंप को भी नुकसान पहुंचा है। वहां से 8 जवानों के लापता होने की पुष्टि हुई है। फिलहाल मौसम खराब होने के कारण मैनुअल रेस्क्यू ऑपरेशन ही संभव हो रहा है। मौसम साफ होते ही चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को भी राहत कार्य में लगाया जाएगा।