भारतीय सेना में DGMO की भूमिका क्या होती है और संकट के समय क्यों होते हैं महत्वपूर्ण
हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा, दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच फोन पर बातचीत के बाद हुई, जिससे इस संवेदनशील पद की भूमिका एक बार फिर चर्चा में आ गई है। 10 मई 2025 को पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क कर सैन्य कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था। इससे यह साफ हो गया कि DGMO का कार्य केवल युद्ध प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक संवाद का महत्वपूर्ण स्तंभ भी है।
DGMO यानी महानिदेशक सैन्य संचालन, भारतीय सेना का एक उच्चपदस्थ अधिकारी होता है जो आमतौर पर लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का होता है। यह अधिकारी भारत की सीमाओं पर सैन्य अभियानों की समन्वय और निगरानी का प्रमुख दायित्व संभालता है। वह सेना प्रमुख (COAS) को रिपोर्ट करता है और सभी ऑपरेशनल गतिविधियों की योजना, समन्वय और निष्पादन का नेतृत्व करता है। DGMO न केवल युद्ध जैसी स्थिति बल्कि आतंकवाद रोधी अभियानों, राहत और बचाव कार्यों तथा अन्य रणनीतिक अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनकी जिम्मेदारी सशस्त्र बलों की तैयारियों की निगरानी और विभिन्न सैन्य शाखाओं के साथ तालमेल सुनिश्चित करना भी होती है।
DGMO की एक प्रमुख जिम्मेदारी भारत और पाकिस्तान के बीच साप्ताहिक हॉटलाइन संपर्क भी है, जो संकट के समय तत्काल संवाद और युद्ध टालने के लिए स्थापित किया गया है। यह हॉटलाइन मोबाइल या इंटरनेट आधारित नहीं बल्कि एक सुरक्षित, स्थिर एन्क्रिप्टेड लैंडलाइन है जिसे केवल अधिकृत सैन्य अधिकारी ही उपयोग कर सकते हैं। यह प्रणाली 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद स्थापित की गई थी और यह दिल्ली के DGMO कार्यालय को इस्लामाबाद के प्रधानमंत्री कार्यालय के सैन्य विभाग से जोड़ती है।
इतिहास गवाह है कि DGMO हॉटलाइन ने कई बार भारत-पाक तनाव के बीच सामरिक संवाद बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। 1999 के करगिल युद्ध से लेकर 2021 के युद्धविराम समझौते तक, DGMO स्तर की बातचीत ने सीमा पर संघर्षों को सीमित करने में सहायता की है। 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी पर भी DGMO स्तर पर चर्चा हुई। ऐसे समय में DGMO वह पहला व्यक्ति होता है जो बिना देरी के संकट का जवाब देता है, सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है और जमीन पर हालात को स्थिर बनाए रखने का प्रयास करता है।
भारत में DGMO का कर्तव्य केवल सेना तक सीमित नहीं है, बल्कि वह खुफिया एजेंसियों, अन्य रक्षा बलों और विदेश मंत्रालय के साथ भी समन्वय करता है। चाहे वह LoC पर गोलीबारी हो या आतंकी गतिविधियों पर जवाब – DGMO का त्वरित निर्णय और रणनीतिक सोच ही सीमा पर संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
इस तरह, DGMO भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी के समान है, जो युद्धकाल और शांति – दोनों में अपनी निर्णायक भूमिका निभाता है।