मंदिरों में जलाभिषेक के लिए लगी भीड़, जानें क्यों खास है महाशिवरात्रि की पूजा

देवभूमि उत्तराखंड में भोलेनाथ की भक्ति में डूबे भक्तों की लंबी कतार जलाभिषेक के लिए मंदिरों के बाहर लगी दिखी। महादेव को पंचामृत से स्नान कराने के साथ ही बिल्व पत्र, भांग, धतूरा, फल-फूल आदि चढ़ा कर भोलेनाथ प्रसन्न किया जा रहा है.
श्रद्धालु आज पुण्य का लाभ ले रहे हैं। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चौदस तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस बार इस तिथि की शुरुआत 18 फरवरी को शाम 05.55 बजे से होगा और अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 3.32 बजे समापन होगा।
महाशिवरात्रि व्रत कथा
शिव पुराण की कथा के अनुसार, एक गांव में एक शिकारी था, जो पशुओं को शिकार करके अपना घर परिवार चलाता था. शिकारी एक साहुकार का कर्ज चुकाने के लिए जंगल में गया और शिकार की तलाश करने लगा. वह एक तालाब के किनारे पहुंचा. वहां पर वह एक बेल के पेड़ पर अपना ठिकाना बनाने लगा. उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, जो बेलपत्रों से ढंका हुआ था. उसे इस बात की जानकारी न थी.
बेल वृक्ष की टहनियों को तोड़कर वह नीचे फेंकता गया और बेलपत्र उस शिवलिंग पर गिरते गए. वह भूख प्यास व्याकुल था. अनजाने में उससे शिव पूजा हो गई. दोपहर तक वह भूखा ही रहा. रात में एक गर्भवती हिरण तालाब में पानी पीने आई. तभी शिकारी उसे मारने के लिए धनुष-बाण तैयार कर लिया. उस हिरण ने कहा कि वह बच्चे को जन्म देने वाली है, तुम एक साथ दो हत्या न करो. बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी, तब तुम शिकार कर लेना. यह सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया.
कुछ देर बाद एक और हिरण आई तो शिकारी उसका शिकार करने को तैयार हो गया. तभी उस हिरण ने कहा कि वह अभी ऋतु से मुक्त हुई है, वह अपने पति की तलाश कर रही है क्योंकि वह काम के वशीभूत है. वह जल्द ही पति से मिलने के बाद शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगी. शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया.
देर रात एक हिरण अपने बच्चों के साथ उस तालाब के पास आई. शिकार एक साथ कई शिकार देखकर खुश हो गया. वह शिकार करने के लिए तैयार हो गया, तभी उस हिरण ने कहा कि वे अपने बच्चों के साथ इनके पिता की तलाश कर रही है, जैसे ही वो मिल जाएंगे तो वह शिकार के लिए आ जाएगी. इस बार शिकारी उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन उस हिरण ने शिकारी को उसके बच्चो का हवाला दिया तो उसने उसे जाने दिया.
अब शिकारी बेल वृक्ष पर बैठकर बेलपत्र तोड़कर नीचे फेंकते जा रहा था. अब सुबह होने ही वाली थी. तभी वहां एक हिरण आया. शिकार उसे मारने के लिए तैयार था, लेकिन हिरण ने कहा कि इससे पहले तीन हिरण और उनके बच्चों को तुमने मारा है, तो उसे भी मार दो क्योंकि उनका वियोग सहन नहीं होगा. यदि उनको जीवन दान दिया है तो उसे भी छोड़ दो, परिवार से मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा.
रातभर उपवास, रात्रि जागरण और अनजाने में बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा के प्रभाव से शिकारी दयालु हो गया था. उसने हिरण को भी जाने दिया. उसके मन में भक्ति की भावना प्रकट हो गई और वह पुराने कर्मों को सोचकर पश्चाताप करने लगा. तभी उसने देखा कि हिरण का पूरा परिवार शिकार के लिए उसके पास आ गया. यह देखकर वह और करुणामय हो गया और रोने लगा. उस शिकारी ने हिरण परिवार को जीवन दान दे दिया और स्वयं हिंसा को छोड़कर दया के मार्ग पर चलने लगा. शिव कृपा से वह शिकारी तथा हिरण का परिवार मोक्ष को प्राप्त हुआ.
