Republic Day के दिन केरल हाईकोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र के अपमान के आरोप, 2 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम जहां जुड़ जाए वहां या तो विवाद होगा या तो कुछ कमाल ही होगा. केरल हाईकोर्ट में प्रधानमंत्री से जुड़े एक और विवाद की वजह से 2 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया. जिनपर आरोप .ये है की इन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक नाटक republic day के दिन कर दिया.
दरअसल 26 जनवरी के दिन केरल हाई कोर्ट में हुए एक नाटक में स्टेज पर कुछ कलाकारों ने प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाते हुए उनकी मिमिक्री की. जिसे प्रधानमंत्री का अपमान मानते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एजे देसाई ने 2 अधिकारियों को सस्पेंड करते हुए इसे लेकर जांच के आदेश दे दिए. हाई कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुधीस टीए और कोर्ट कीपर सुधीश पीएम ने इसका आयोजन करवाया था. इन्हीं दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. आरोप ऐसा है कि नाटक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार से जुड़े अपमानजनक कंटेंट को बढ़ावा दिया गया.
नाटक में एक व्यक्ति प्रधानमंत्री की मिमिक्र करते हुए कहता है की “अगर मैं कहूँ कि गोबर का दवाई है, तो मेरे समर्थक गाय का गोबर भी खाएँगे। यही मेरी ताकत है।” ये भी कहा जाता है की “मैं ‘प्यारा’ कहता हूँ, लेकिन जनता ‘पोरा’ (मलयालम में काफी नहीं) सुनती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे अपने देश से प्यार नहीं करते। गद्दार।” “मैंने दुनिया घुमने की खातिर परिवार तक को छोड़ दिया, फिर भी लोग मेरे लिए शुक्रगुजार नहीं हैं।”
ये सभी बातें प्ले के जरिए कही गईं जिसके बाद एर्नाकुलम विधिक प्रकोष्ठ ने चीफ जस्टिस से इसकी शिकायत करते हुए कहा गया की प्रधानमंत्री और देश को बदनाम करने के लिए नाटक का मंचन किया गया था.
इससे पहले भी प्रधानमंत्री को लेकर केरल हाई कोर्ट अपने आदेश को लेकर खबरों में आया था जहां हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ही एक लाख रुपय का जुर्माना ठोक दिया और यहां तक पूछ डाला की उसे हमारे प्रधानमंत्री को लेकर इतनी शर्म क्यों आती है. दरअसल 2021 में दायर की गई इस य़ाचिका में याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री की तस्वीर कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटाए जाने की मांग की थी. जिस पर हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपय का जुर्माना लगाया और कहा की ये एक फिजूल की याचिका है. (Justice P V Kunhikrishnan) ने कहा था की प्रधानमंत्री को इस देश की जनता ने चुना है और इसलिए टीकाकरण प्रमाणपत्र पर उनकी तस्वीर लगाने में क्या गलत है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि अन्य देशों में ऐसी कोई प्रथा नहीं है तो माननीय न्यायाधीश ने कहा- याचिकाकर्ता को अपने प्रधानमंत्री पर गर्व नहीं हो सकता है लेकिन हमें अपने प्रधानमंत्री पर गर्व है। … जज साहब ने तो यहां तक कहा था की आपको अपने प्रधानमंत्री पर गर्व नहीं होगा पर उन्हें तो है…. खैर आपकी खबर को लेकर क्या प्रतिक्रिया है हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.