हरक सिंह रावत का सवाल – “दल बदलुओं में सिर्फ मेरा ही नाम क्यों?”
उत्तराखंड की राजनीति इन दिनों पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के आरोपों और बयानों की वजह से सुर्खियों में है. बीजेपी पर 30 करोड़ के चंदे का आरोप लगाने के बाद अब हरक सिंह ने दल बदल को लेकर अपनी सफाई दी है.
हरीश रावत का तंज
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर दल बदलुओं पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं ने लोकतंत्र पर आघात किया. उनका इशारा साफ तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत की तरफ था. हरीश रावत का कहना है कि अगर 2016 की दल बदल की घटना नहीं होती, तो 2017 में कांग्रेस की सरकार बन सकती थी. उन्होंने यह भी कहा कि अब हरक सिंह लगातार नए-नए रहस्य उजागर कर रहे हैं और भाजपा की पोल खोल रहे हैं.
हरक सिंह रावत की सफाई
दल बदल के आरोपों पर हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने हमेशा राज्य और जनता के हित को ध्यान में रखकर ही राजनीतिक फैसले लिए हैं.
- उन्होंने याद दिलाया कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के समय उन्होंने भाजपा छोड़कर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी.
- बसपा में शामिल होने के बाद प्रदेश में जिलों और तहसीलों का गठन हुआ.
- उनका कहना है कि आज भी अगर उन्होंने दल बदले हैं तो वह व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि राज्यहित में किए हैं.
“सिर्फ मेरा नाम क्यों?”
हरक सिंह रावत ने सवाल उठाया कि जब कई नेताओं ने दल बदले हैं तो बदनाम सिर्फ वही क्यों होते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ही प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य, सुरेंद्र सिंह नेगी और मंत्री प्रसाद नैथानी ने भी दल बदल किया है.
इसी तरह भाजपा के बड़े नेता सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल और भगत सिंह कोश्यारी भी दल बदल की राजनीति से जुड़े रहे हैं.
भाजपा पर निशाना
हरक सिंह रावत ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि पूरी पार्टी दल बदलुओं के सहारे खड़ी है, लेकिन सबसे पहले नाम उनका ही लिया जाता है.