उत्तराखंड-यूपी के बीच परिसंपत्ति विवाद पर फिर होगी बैठक, नेपाल सीमा से जुड़ा मुद्दा भी रहेगा अहम
उत्तराखंड के गठन को 25 साल हो चुके हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा अब तक पूरी तरह से नहीं सुलझ पाया है। अब एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच इस मुद्दे पर अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में न सिर्फ परिसंपत्तियों पर चर्चा होगी, बल्कि नेपाल सीमा से जुड़े बनबसा बैराज और पानी के वितरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी बात होगी।
🔧 बनबसा बैराज बन सकता है बड़ा संकट
बैठक में सबसे अहम मुद्दा होगा उत्तराखंड और नेपाल को जोड़ने वाला बनबसा बैराज, जो 100 साल पुराना हो चुका है। इसे अब रेट्रो फिटिंग यानी तकनीकी उन्नयन की सख्त जरूरत है।
उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा:
“यदि इस बैराज की मरम्मत जल्द नहीं हुई तो यह नेपाल के साथ उत्तराखंड के आवागमन के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।”
उन्होंने बताया कि या तो उत्तर प्रदेश को इसका रेट्रो फिटिंग करना चाहिए, या फिर उत्तराखंड को इसकी अनुमति दी जाए।
💧 पानी के बंटवारे पर भी बढ़ी चिंता
परिसंपत्तियों के अलावा पानी के बंटवारे को लेकर भी उत्तराखंड सरकार गंभीर है। मंत्री सतपाल महाराज ने कहा:
- उत्तराखंड यूपी को 4000 क्यूसेक पानी दे रहा है, जबकि यूपी को जरूरत सिर्फ 3000 क्यूसेक की है।
- अतिरिक्त 650 क्यूसेक पानी को इकबालपुर नहर की जलापूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बाणगंगा प्रोजेक्ट को लेकर भी यूपी सरकार से बातचीत चल रही है।
🏞️ उत्तर प्रदेश की जमीन पर उत्तराखंड का दावा
उत्तराखंड सरकार ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश की कई जमीनें वर्तमान में उत्तराखंड में हैं, जिन पर अतिक्रमण का खतरा बना रहता है
सतपाल महाराज के अनुसार:
“उत्तराखंड का लैंड बैंक काफी सीमित है। ऐसे में हमारा प्रयास होगा कि यूपी की जमीनों को कानूनी प्रक्रिया से अपने अधीन लिया जाए।”
🤝 सीएम धामी-योगी की बैठक से बन सकती है राह
इन तमाम विषयों पर चर्चा के लिए उत्तराखंड के सीएम धामी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। इससे परिसंपत्ति विवाद, पानी की आपूर्ति, और सीमा संरचना जैसे मुद्दों पर सकारात्मक हल निकलने की उम्मीद है।