उत्तराखंड में बदले गए कई खेल परिसरों के नाम, इंटरनेशनल खिलाड़ियों और कांग्रेस नेताओं के नाम हटे
देहरादून: उत्तराखंड खेल विभाग ने राज्य के चार प्रमुख शहरों में स्थित खेल परिसरों के नामों में बड़ा बदलाव करते हुए उन्हें एकीकृत कर नए नाम दे दिए हैं। मंगलवार को खेल मंत्री रेखा आर्य ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस निर्णय के तहत अब इन परिसरों को नए नामों से पहचाना जाएगा, जो क्षेत्रीय सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को भी दर्शाते हैं।
देहरादून: अब ‘रजत जयंती खेल परिसर’
राजधानी देहरादून के रायपुर क्षेत्र में स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम और आसपास के अन्य सभी खेल स्थलों को अब एकीकृत रूप से ‘रजत जयंती खेल परिसर’ के नाम से जाना जाएगा। इससे पहले इन स्थानों पर स्वतंत्र नामों से खेल आयोजन होते थे।
हल्द्वानी: बना ‘मानसखंड खेल परिसर’
इसी प्रकार, हल्द्वानी के गौलापार में स्थित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, हॉकी ग्राउंड, तरण ताल, मल्टीपरपज़ हॉल और अन्य स्पोर्ट्स सुविधाओं को मिलाकर अब इसे ‘मानसखंड खेल परिसर’ का नाम दिया गया है।
रुद्रपुर: बना ‘शिवालिक खेल परिसर’
रुद्रपुर स्थित मनोज सरकार स्टेडियम, साइकिलिंग वेलोड्रोम और अन्य खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मिलाकर नए नाम ‘शिवालिक खेल परिसर’ से संबोधित किया जाएगा।
हरिद्वार: अब जाना जाएगा ‘योगस्थली खेल परिसर’ के रूप में
हरिद्वार के रोशनाबाद में स्थित वंदना कटारिया हॉकी स्टेडियम, मल्टीपरपज हॉल, तरण ताल और अन्य खेल सुविधाओं को अब संयुक्त रूप से ‘योगस्थली खेल परिसर’ नाम दिया गया है।
क्यों किया गया बदलाव?
खेल मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि यह बदलाव ‘स्पोर्ट्स लिगेसी प्लान’ के तहत किया गया है। इस प्लान के माध्यम से राज्य सरकार खेल परिसरों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की दिशा में काम कर रही है। इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच, साइंटिफिक ट्रेनिंग स्टाफ, और इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन शामिल है।
रेखा आर्य ने यह भी कहा कि इस योजना के लिए देश के अन्य राज्यों की खेल नीतियों और Sports Authority of India (SAI) जैसे संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ लिया जा रहा है।
राजनीतिक नामों को हटाने पर सियासत गरम
खास बात यह है कि इन नामों में से कई पूर्व कांग्रेस नेताओं और इंटरनेशनल खिलाड़ियों के नाम थे, जैसे कि राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, मनोज सरकार, और वंदना कटारिया। इन नामों को हटाकर अब क्षेत्रीय नामों को प्राथमिकता दी गई है, जिससे राज्य में राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है।