उत्तराखंड- ‘खड्डा’ प्रदेश की खड्डा हो चुकी राजधानी
क्या आपकों पता है की हर रोज आप जिन सड़को पर चलते हैं वो आपको कितना नुकसान पहुंचा रही हैं. अगर आप रोज किसी गड्ढे वाली सड़क से गुजर रहे हैं तो आप ये मान के चलिए की आपका स्वास्थय तो बिगड़ ही रहा है लेकिन आपकी जेब भी ढीली हो रही है.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का अगर आपको याद ना हो तो में याद दिला देता हूं की देहरादून देश के 100 शहरों में से एक है जिसे स्मार्ट बनया जा रहा है. जून 2019 में स्मार्ट सिटी के स्थापना दिवस के साथ ही इसका काम शुरु हो गया था. वैसे जून 2024 में देहरादून को स्मार्ट तो बन जाना लेकिन फिलहाल का ये हाल है. मतलब सिर्फ अभी का ही ये हाल नहीं है. बल्की कई महीनों से हाल बना हुआ है औऱ कई जगह तो साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया है जहां ये सड़कें खुदी हुई हैं.
फिलहाल मानसून चल रहा है तो सबसे बेहतर वक्त यही है इसकी पोल खोलने का. वैसे तो अमूमन देहरादून की सड़कों में गड्ढे मिल ही जाते हैं. इसमें कोई दोहराए नहीं है.. लेकिन परेशान लोगों को और ज्यादा दुखी करने का ये नया तरीका है की पहले सड़क खोद और फिर कई महीनों तक बस खोदत ही रहो जब तक लोगों के सब्र का बांध ना टूट जाए… ये खुदी हुई सड़कें बरसात में खतरनाक और फिर कीचड़ में जानलेवा हो जाती है.
ये क्षेत्र देहरादून के बंजारावाला का क्षेत्र है. यहां की आधी से ज्यादा सड़कें इतनी खराब हैं की यहां गाड़ी चलाना तो दूर की बात है यहां कोई पैदल भी नहीं चल सकता. हमने ग्राउंड पर जाकर लोगों से बात भी की है. जिससे ये पता चला है की लोग परेशान हैं लेकिन सुनने वाला कोई है ही नहीं. जिन लोगों के पास इसका ठेका है वो सुनते नहीं है और पार्षद से लेकर विधायक तक जाने के लिए लोग बस सोचते ही रहते हैं.
क्योंकी ये काम स्मार्ट सिटी के तहत हो रहा है इसलिए इस काम को डीएम की देख रेख में करवाया जा रहा है… लेकिन कोई जनता को ये बता दे की अगर कोई इन गड्ढों की वजह से कोई अस्वस्थ हो जाए, मर जाए या किसी की मेहनत की कमाई से ली हुई गाड़ी-कपड़े खराब हो जाए तो इसकी जवाब देही किसकी होगी पार्षद की, विधायक की, मेयर की, डीएम की, मुखय्मंत्री की या फिर वो जिनका ये स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट है हमारे प्रधानमंत्री की. क्योंकि जनता परेशान है और कोई सुनने वाला भी नहीं है.
उत्तराखंड में सड़कों की इस स्थिति पर हमने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात की. क्योंकि वो कई बार सड़कों पर हो रहे गड्ढों को लेकर सरकार पर सवाल उठा चुके हैं… कई बार वो इस उम्र में भी सड़कों में हुए गड्ढों पर धरना देते हुए दिख जाते हैं…. हरीश रावत का कहना है की पूरे प्रदेश को गड्ढा प्रदेश बना दिया गया है और सरकार का ये स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट एक माल बनाओ अभियान बनकर रह गया है.
सड़कों को खोदे जाने से लोगों को परेशानी नहीं है.. बल्की उन सड़कों को सालों तक वैसे ही छोड़ दिया जा रहा है जिससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है…. और ये मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं की ये हमारे ही देश में होता होगी की… पहले तो सड़क बना दी जाती है औऱ फिर कुछ महीनों में ही उस नई सड़क को फिर खोदा जाता है की पाइप डालने के लिए…. फिर कुछ महीने की छुट्टी हो जाती है औऱ एक बार फिर सड़क खोदी जाती है एक और पाइप डालने के लिए… और इसी तरह सड़क बार-बार खुदती रहती है लेकिन उसे बनाया नहीं जाता जब तक कोई शिकायत ना करे, हंगामा ना करे, परेशान ना हो जाए.