उत्तराखंड कांवड़ यात्रा: दुकानों पर पहचान और नाम लिखने के आदेश से सरकार बैकफुट पर, अब सिर्फ फूड लाइसेंस अनिवार्य
SHOPKEEPERS SHOW IDENTITY | KANWAR YATRA 2025 | FOOD SAFETY INSTRUCTIONS
उत्तराखंड सरकार द्वारा आगामी कांवड़ मेले 2025 के लिए जारी किए गए व्यापारियों की पहचान उजागर करने संबंधी आदेशों पर विवाद के बाद सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। अब सरकार ने साफ किया है कि दुकानों के बाहर मालिक या स्टाफ का नाम लिखना अनिवार्य नहीं होगा, केवल फूड लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाणपत्र सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना जरूरी होगा।
क्या था प्रारंभिक आदेश?
11 जुलाई से शुरू होने वाले कांवड़ मेले को देखते हुए उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव व खाद्य सुरक्षा आयुक्त आर. राजेश कुमार ने आदेश जारी किए थे, जिनमें कहा गया था:
- सभी ढाबा, होटल, रेहड़ी, फूड स्टॉल्स को अपने प्रतिष्ठान पर फोटो सहित पहचान पत्र और फूड लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र लगाना होगा।
- प्रतिष्ठान में फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड लगाना भी अनिवार्य किया गया था, ताकि ग्राहकों को भोजन की गुणवत्ता और जिम्मेदारी की जानकारी मिल सके।
- निर्देशों का उल्लंघन करने पर फूड सेफ्टी एक्ट 2006 की धारा 55 के तहत ₹2 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सरकार की सफाई: नाम नहीं, सिर्फ लाइसेंस जरूरी
हालांकि, इस आदेश पर सामाजिक और कानूनी प्रतिक्रिया आने के बाद अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि
👉 दुकानों के बाहर नाम लिखना जरूरी नहीं है।
👉 केवल फूड लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन की प्रति दुकान पर ऐसी जगह लगानी होगी, जहां ग्राहक उसे आसानी से देख सके।
खाद्य सुरक्षा के लिए तैनात होंगी विशेष टीमें
श्रद्धालुओं की सेहत और खानपान की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सख्त इंतज़ाम किए हैं:
- हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की विशेष टीमें तैनात की गई हैं।
- ये टीमें दूध, मिठाई, तेल, मसाले, पेय पदार्थ आदि के सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भेजेंगी।
- मानक पर खरे न उतरने वाले प्रतिष्ठानों को तत्काल बंद कर दिया जाएगा।
शिकायत के लिए टोल-फ्री नंबर भी जारी
जनता खाद्य सामग्री की गुणवत्ता से जुड़ी शिकायतें टोल फ्री नंबर 18001804246 पर दर्ज करा सकती है।
प्रशासन इन शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई करेगा और रोजाना की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ
गौरतलब है कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी-उत्तराखंड सरकार के ऐसे ही निर्देशों पर रोक लगाई थी।
- जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा था कि “भोजन की गुणवत्ता सार्वजनिक होनी चाहिए, लेकिन दुकानदारों को नाम या धर्म बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।”
✅ निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान भोजन की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं होगा, लेकिन सामाजिक पहचान से जुड़ी संवेदनशीलता को भी सम्मान दिया जाएगा।