धामी सरकार में दायित्वधारियों की बल्ले-बल्ले, लाखों की सैलरी के साथ मिल रही खास सुविधाएं
देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने हाल ही में 20 नेताओं को विभिन्न आयोगों, निगमों और परिषदों में अहम पद सौंपे हैं। इन दायित्वधारी नेताओं को सरकार न केवल सैलरी देती है, बल्कि कई अतिरिक्त सुविधाएं भी प्रदान करती है।
कितनी मिलती है सैलरी?
पहले सरकार दायित्वधारियों को ₹45,000 प्रतिमाह मानदेय देती थी, लेकिन 2023 में इसे बढ़ाकर ₹80,000 कर दिया गया। इसके अलावा, यदि कोई दायित्वधारी सरकारी वाहन का उपयोग नहीं करता, तो उसे ₹40,000 प्रति माह वाहन भत्ता भी मिलता है।
किन नेताओं को मिला दायित्व?
बीजेपी सरकार ने हाल ही में 20 नेताओं को विभिन्न पद सौंपे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हरक सिंह नेगी – उपाध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद
- ऐश्वर्या रावत – उपाध्यक्ष, राज्य महिला आयोग
- गंगा बिष्ट – उपाध्यक्ष, राज्य महिला उद्यमिता परिषद
- श्याम अग्रवाल – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड आवास सलाहकार परिषद
- शांति मेहरा – उपाध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद
- भगवत प्रसाद मकवाना – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड सफाई कर्मचारी आयोग
- हेमराज विष्ट – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य स्तरीय खेल परिषद
- रामचंद्र गौड – अध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद
- पूरन चंद नैलवाल – उपाध्यक्ष, प्रवासी उत्तराखंड परिषद
- रामसुंदर नौटियाल – उपाध्यक्ष, भागीरथी नदी घाटी प्राधिकरण
- सायरा बानो – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग
- रेनू अधिकारी – अध्यक्ष, राज्य महिला उद्यमिता परिषद
- रजनी रावत – उपाध्यक्ष, समाज कल्याण योजनाएं अनुश्रवण समिति
- ओम प्रकाश जमदग्नि – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड पारिस्थितिकीय पर्यटन सलाहकार परिषद
- भूपेश उपाध्याय – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद
- कुलदीप कुमार – अध्यक्ष, उत्तराखंड वन पंचायत सलाहकार परिषद
- ऋषि कंडवाल – उपाध्यक्ष, सिंचाई सलाहकार समिति
- वीरेंद्र दत्त सेमवाल – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद
- अजय कोठियाल – अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार समिति
- श्याम नारायण पांडे – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति
धामी सरकार का कहना है कि इन नियुक्तियों से विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और अनुश्रवण में तेजी आएगी। हालांकि, विपक्ष इन दायित्वों को राजनीतिक नियुक्ति बताते हुए सरकार की आलोचना कर रहा है।
धामी सरकार की यह लिस्ट आने के बाद चर्चाएं तेज हो गई हैं कि आखिर ये दायित्वधारी सरकार को कितना फायदा पहुंचाते हैं और क्या यह नियुक्तियां जनता के हित में हैं?