Uttarakhand Forest Fire | Viral Video: बिहारी मूल के 5 लोग गिरफ्तार, वायरल वीड़ियो को मचा बवाल
उत्तराखंड में आगजनी को लेकर वायरल होने वाले एक वीडियो को लेकर बवाल मचा हुआ है. हालांकी इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है की ये वीडियो उत्तराखंड़ का ही है या कहीं और का. लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले इस वीडियो में कहा जा रहा है की हमें आग से खेलने का शौक है और पूरा पहाड़ को जलाकर भस्म करना है, एक बिहरी को कभी चैलेंज नहीं किया जाता है.
इस वीडियो को लेकर किसी भी तरह की पुष्टी करना बहुत मुश्किल है. लेकिन दावे के मुताबिक वीडियो उत्तराखंड है. और दावे पर लोग विश्वास भी कर रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड से इन दिनों आगजनी की भयंकर घटनाएं सामने आ रही हैं. पिछले 24 घंटों की बात की जाए तो आग लगने की करीब 64 नई घटनाएं सामने आई, गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक आगजनी से करीब 75 हेक्टेयर जंगल इसमें जलकर राख हो गए. वहीं खबरों के मुताबिक 3 लोगों की भी मौत अभी तक इन घटनाओं में हुई है औऱ तीन से ज्यादा लोग बुरी तरह झुलसे हैं.
इस पूरे सीजन में 868 से ज्यादा घटनाओं में करीब 1086 हेक्टेयर जंगल आगजनी की चपेट में आ चुके हैं. उत्तराखंड में वन विभाग को पूरी तरह से अलर्ट मोड़ पर रखा गया है.
जंगल में आग लगाने के आरोप में बिहार मूल के पांच मजदूरों के खिलाफ वन विभाग ने मुकदमा दर्ज किया है. मामला नागदेव रेंज खिर्सू का है. वन विभाग ने मोसार आलम ,नाजेफर आलम, नुरुल ,सालेम, फिरोज आलम के खिलाफ वन अधिनियम कानून के तरह अपराध पंजीकृत कर दिया है. पांचों को कोर्ट में पेश करने की कार्यवाही की जा रही है. इनही लोगों को ये वीडियो बताया जा रहा है.

अब इससे पहले की आप ये सोचने लग जाएं बाहरी लोग ये सब कर रहे हैं या किसी धर्म को लेकर आप नफरती हो जाएं. पूरे प्रदेशभर में अब तक करीब 52 लोगो के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है. और कई स्थानीय लोगों को भी इसके लिए गिरफ्तार किया गया है. रुद्रप्रयाग जिले में ही अब तक 19 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. मसूरी वन विभाग ने वनाग्नि को लेकर दो नामजद लोगों और 22 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है. बागेश्वर रेंज से भी जंगल में आग लगाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. सतपुली से भी चार लोगों को हिरासत में लिया गया. कुछ पकड़े गए आरोपियों के नाम नरेश भट्ट, हेमंत सिंह और भगतवी लाल हैं. इसीलिए गुजारिश ये है की आरोपियों को केवल आरोपियों की नजर से ही देखा जाए. इसमें नफरत को ना ढूंढा जाए.




क्योंकि आग का मुख्य कारण मानव रहित आगजनी नहीं है बल्की भीषण गर्मी इसका एक मुख्य कारण है. पहाड़ों में चीड़ के जंगल जल्दी आग पकड़ते हैं. पेड़ों के टकराने और पत्तथरों के गिरने से भी चीड़ के पत्तों में आग लगती है. चीड़ में होने वाले लीसा में तेल की तरह आग पकड़ने की खूबी होती है.
पूरा उत्तराखंड आग की चपेट में हैं… सबसे ज्यादा असर गढ़वाल और कुमाऊ मंडल के 11 जिलों में है। गढ़वाल मंडल में पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून और कुमाऊ मंडल में नैनीताल, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और चंपावत जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
वन विभाग, फायर ब्रिगेड, पुलिस के साथ-साथ सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं। आर्मी एरिया में आग पहुंचती देख एयरफोर्स के MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद ली गई थी… लेकिन अन्य जगहों पर भले ही वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हों लेकिन वन कर्मियों को दूर दूर पैदल चलकर आग बुझानी पड़ रही है… वन संरक्षक पश्चिम वृत्त विनय भार्गव ने बताया कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के किशनपुर रेंज, रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज में वन विभाग की टीम ने वनाग्नि पर काबू पाया। फतेहपुर में टीम दो किलोमीटर तक पैदल भी चली। इसी तरह हल्द्वानी वन प्रभाग के अंतर्गत डांडा रेंज में आग बुझाने के लिए टीम आठ किमी पैदल गई।
वन कर्मियों को कई-कई किलोमीटर तक पैदल चलकर आग पर काबू करना पड़ रहा है… प्रदेशभर में करीब 3700 कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए लगाया गया है… इस दौरान 4 महीने के लिए फायर सीजन में वन मित्रों की तैनाती होती है… जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए मुख्य रूप से झाप (हरे पत्तों की लकड़ी) लोहे और स्टील के (झांपा) इस्तेमाल किए जाते हैं.
सरकार ने वैसे कई नंबर में जारी किए हुए हैं जिसके जरिए आप आगजनी की घटनाओं की जानकारी दे सकते हैं ..टोल फ्री नंबर 18001804141, आपदा कंट्रोल रूम 05942-231179, पश्चिम वृत्त 05946-220003 और दृक्षिण वृत्त में 05946-235452 नंबर पर दे सकते हैं.