कृषि शिक्षा में सुधार और चुनौतियों से निपटने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने दिए सुझाव, कहा – “छात्रों को खेतों से जोड़ना होगा”
देश में गुणवत्तापूर्ण कृषि शिक्षा सुनिश्चित करने और उससे जुड़ी चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई अहम सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा को सैद्धांतिक दायरे से बाहर निकालकर व्यावहारिक अनुभव, नवाचार और क्षेत्रीय प्रशिक्षण से जोड़ना समय की जरूरत है।
चौहान ने सुझाव दिया कि छोटे छात्र समूह (student groups) बनाकर उन्हें सीधे कृषि अध्ययन में शामिल किया जाए, ताकि वे रचनात्मक सुझाव देकर शिक्षा प्रणाली को मजबूत बना सकें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों से अनुरोध करेगी कि कृषि छात्रों के लिए फार्म विजिट (खेतों का दौरा) अनिवार्य किया जाए, ताकि उन्हें जमीन से जुड़े वास्तविक अनुभव मिल सकें।
“हम छात्रों का एक छोटा समूह बनाएं, जो कृषि शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए रचनात्मक सुझाव दे। भविष्य में मैं कृषि छात्रों से सीधे संवाद करूंगा और उनकी समस्याओं का समाधान करूंगा,” – शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि मंत्री
‘बेहतर प्रयोगों का अध्ययन करें और देश में लागू करें’
कृषि मंत्री ने छात्रों से आग्रह किया कि वे देश और विदेश में चल रहे सफल कृषि प्रयोगों (best agricultural experiments) का अध्ययन करें और उन्हें भारतीय संदर्भ में अपनाने के उपाय सुझाएं। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि शिक्षा को भी उसी स्तर की गुणवत्ता और नवाचार की जरूरत है जैसी अन्य प्रोफेशनल एजुकेशन में दी जाती है।
“कृषि शिक्षा को सिर्फ सैद्धांतिक नहीं बल्कि प्रैक्टिकल और इनोवेशन-केंद्रित होना चाहिए। छात्रों को किसानों की वास्तविकताओं और क्षेत्रीय अनुभवों से जोड़ना अनिवार्य है।”
ग्रेड सिस्टम और जवाबदेही पर जोर
सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों में ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने की सिफारिश की है ताकि संस्थानों के प्रदर्शन का मूल्यांकन हो सके। चौहान ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने छात्रों में कौशल, ज्ञान और प्रतिबद्धता बढ़ाने के साथ-साथ उत्कृष्टता और जवाबदेही को प्रोत्साहित करना चाहिए।
कृषि छात्रों की राय भी आई सामने
कृषि छात्रों ने भी इस पहल का स्वागत करते हुए अपने सुझाव साझा किए —
- स्नेहा भारद्वाज, कृषि छात्रा ने कहा, “छात्रों को नई आधुनिक तकनीकों से परिचित कराना चाहिए ताकि वे कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स से जुड़ सकें।”
- अतुल प्रताप सिंह ने कहा, “अकादमिक ज्ञान को फील्ड में उतारना चाहिए, इससे किसानों और पशुपालन क्षेत्र दोनों को फायदा होगा।”
- रोहिताश दूधवाल ने सुझाव दिया, “सरकार को ICAR छात्रों को 5 साल की फेलोशिप देनी चाहिए, जिससे वे उद्यमिता की दिशा में बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें।”
‘कृषि केवल पेशा नहीं, सेवा का रूप’
कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव एवं आईसीएआर महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट ने कहा कि कृषि, किसान और छात्र — ये तीनों राष्ट्र सेवा से गहराई से जुड़े हैं। उन्होंने युवाओं को नई सोच, इनोवेशन और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा दी।


 
		 
			 
			 
			 
			 
			