‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: हाईकोर्ट भेजा जा सकता है मामला, अगली सुनवाई 25 जुलाई को
नई दिल्ली: फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है। कोर्ट ने संकेत दिया है कि यह मामला वापस हाईकोर्ट भेजा जा सकता है। फिल्म की रिलीज को लेकर एक अभियुक्त ने निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के हनन का हवाला देते हुए रिलीज पर रोक की मांग की थी।
फिल्म से निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित होने का आरोप
कन्हैया लाल हत्याकांड के एक अभियुक्त मोहम्मद जावेद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि फिल्म की रिलीज उसके मुवक्किल के ट्रायल को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि फिल्म 1800 सिनेमाघरों में रिलीज की जा रही है, जबकि केस में 161 गवाहों की गवाही अब भी लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली बेंच ने कहा,
“अगर किसी की पहचान से जुड़े डर के आधार पर सब कुछ रोका जाए तो न्याय प्रणाली जटिल हो जाएगी। फिल्म देखना या न देखना जनता का अधिकार है।”
उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी केवल सबूतों के आधार पर फैसला करते हैं और किसी भी मीडिया या फिल्म से प्रभावित नहीं होते।
फिल्म काल्पनिक या सच्ची घटना?
गुरुस्वामी ने कहा कि फिल्म काल्पनिक नहीं है, बल्कि सीधे-सीधे ट्रायल पर आधारित है। वहीं कोर्ट का कहना था कि हर काल्पनिक कहानी किसी न किसी वास्तविक घटना से प्रेरित होती है।
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने फिल्म को “अपराध-केंद्रित” बताया, न कि किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग समिति ने विदेश मंत्रालय से भी सलाह ली थी और CBFC ने 55 कट के बाद ही इसे मंजूरी दी है। सभी पात्र काल्पनिक हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की आपत्ति
वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि फिल्म एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाती है। उन्होंने कहा कि यह मामला ‘अभद्र भाषा’ का है, जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं आता।
क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट को सौंपा जा सकता है। अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।