उत्तराखंड में शिक्षकों के लिए नई तबादला नीति की तैयारी, कैबिनेट में पेश होगा प्रस्ताव
उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक नई तबादला नीति लागू होने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरियाणा की तर्ज पर तैयार की गई इस नीति को कैबिनेट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। यह नीति वर्तमान में लागू तबादला अधिनियम से अलग होगी और केवल शिक्षा विभाग पर लागू होगी।
शिक्षा विभाग बीते ढाई वर्षों से इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है, लेकिन अब तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था। शिक्षकों के तबादलों में आ रही विसंगतियों को दूर करने और पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने अब इस नीति को गंभीरता से आगे बढ़ाने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा अधिनियम में सभी विभागों के लिए एक समान नीति लागू है, जबकि शिक्षा विभाग की संरचना और जरूरतें बाकी विभागों से भिन्न हैं।
राज्य को तीन ज़ोन और आठ सब-ज़ोन में बांटने का प्रस्ताव
नई तबादला नीति के तहत राज्य को तीन ज़ोन में बांटा जाएगा —
- एचएच (अत्यंत दुर्गम क्षेत्र): उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर
- एच (दुर्गम क्षेत्र): टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा
- पी (मैदानी क्षेत्र): हरिद्वार और देहरादून
इसके अलावा, इन ज़ोन को आठ सब-ज़ोन में भी विभाजित किया जाएगा। प्रत्येक शिक्षक को अपने सेवा काल में विभिन्न ज़ोन में न्यूनतम वर्षों तक सेवा देनी होगी। पिथौरागढ़, उत्तरकाशी जैसे दुर्गम क्षेत्रों में कम से कम 23 साल की सेवा और मैदानी क्षेत्रों में 12 साल की सेवा अनिवार्य होगी।
महिलाओं और विशेष परिस्थितियों के लिए छूट
नीति में विशेष प्रावधान भी शामिल हैं, जैसे:
- अविवाहित महिला शिक्षक को विवाह के बाद एक बार अपने गृह क्षेत्र में तबादले का अधिकार मिलेगा।
- सभी शिक्षकों को अपने पूरे सेवाकाल में एक बार कैडर बदलने की सुविधा दी जाएगी।
तबादला प्रक्रिया की समय-सीमा
यह नीति 1 जनवरी से प्रभावी होगी और हर वर्ष 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच तबादला आदेश जारी किए जाएंगे। खाली पदों के अलावा भविष्य में रिक्त होने वाले संभावित पदों पर भी तबादला करने की अनुमति दी जाएगी।