बेजुबानों के मसीहा शंकर बाबा: जानवरों और सांपों को देते हैं नई ज़िंदगी, खुद चलाते हैं ‘ट्रॉमा सेंटर’
ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के अंबेर गांव के सरपंच शंकर बाबा न सिर्फ एक जनप्रतिनिधि हैं, बल्कि हजारों मूक जानवरों के जीवनदाता भी हैं। जानवरों के लिए उनका प्रेम, समर्पण और सेवा भाव उन्हें लोगों की नजर में ‘बेजुबानों का फरिश्ता’ बना चुका है। घायल बैल, कुत्ते, गायें, बंदर और यहां तक कि सांपों को बचाना और उनका इलाज कराना उनका मिशन है। यही नहीं, वह अपने प्रयासों को बिना किसी सरकारी सहायता के अकेले दम पर आगे बढ़ा रहे हैं।

सांप के काटने ने बदली जिंदगी, बन गए ‘शंकर बाबा’
असल में, शंकर बाबा का असली नाम जीवन कृष्ण रे है। एक बार उन्हें एक कोबरा ने काट लिया था, और डॉक्टरों ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन चमत्कारिक रूप से वह ठीक हो गए। इसके बाद लोग उन्हें शिव का अवतार मानने लगे और ‘शंकर बाबा’ कहने लगे। इसी घटना ने उनकी सोच और जीवन की दिशा बदल दी।
मीरा गौशाला नहीं, बल्कि जानवरों का ट्रॉमा सेंटर
2015 में स्वतंत्रता दिवस के दिन शंकर बाबा ने ‘मीरा गौशाला’ की शुरुआत की। हालांकि नाम गौशाला है, लेकिन यह जगह किसी सामान्य गौशाला जैसी नहीं, बल्कि जानवरों के लिए ट्रॉमा सेंटर है। यहां घायल जानवरों को इलाज मिल रहा है, जो या तो सड़क हादसों में घायल हो जाते हैं या लावारिस हाल में पड़े रहते हैं।
यहां दूध नहीं, सिर्फ सेवा होती है। शंकर बाबा बताते हैं, “यहां गायों से दूध नहीं निकाला जाता। यह अस्पताल है, जहां घायल जानवरों का इलाज किया जाता है और ठीक होने पर उन्हें फिर से छोड़ दिया जाता है।”
बेकरी से आती है कमाई, जिससे चलता है अस्पताल
सरकारी अनुदान या कॉर्पोरेट डोनेशन न होने के बावजूद शंकर बाबा का सेवा कार्य थमता नहीं। मीरा बेकरी नाम की एक दुकान से उन्हें हर महीने लगभग 1.5 लाख रुपये की आमदनी होती है, जिसे वह दो हिस्सों में बांटते हैं — एक अपने परिवार के लिए और दूसरा जानवरों की देखरेख के लिए।

टीम और ट्रॉली से करते हैं रेस्क्यू
शंकर बाबा के पास दो पशु चिकित्सकों और तीन सहायकों की टीम है जो शिफ्ट में जानवरों का मुफ्त इलाज करती है। जब डॉक्टर नहीं होते, तब वह खुद इंजेक्शन लगाते हैं। इसके अलावा 26 वर्षीय सूरज कुमार राउत जैसे प्रशिक्षित वॉलंटियर्स भी उनकी टीम में हैं।
अभी तक उनके पास जानवरों को लाने के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं है। वह ट्रॉली, खुली गाड़ी और इलेक्ट्रिक ऑटो से काम चला रहे हैं, लेकिन जल्द ही एक एम्बुलेंस खरीदने की योजना बना रहे हैं।
खुद करते हैं प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी
2022 में खडियांटा पंचायत के सरपंच चुने गए शंकर बाबा, प्रशासनिक कार्यों को भी उसी निष्ठा से निभाते हैं। वह स्कूलों का निरीक्षण करते हैं, नैतिक शिक्षा की क्लास चलाते हैं, ग्रामीणों की शिकायतें मौके पर ही हल करते हैं और पेंशन-आवास जैसी सरकारी योजनाओं में भी सहायता करते हैं।
बनी है ‘शंकर सेना’, 10,000 से ज़्यादा वॉलंटियर्स जुड़ चुके
शंकर बाबा के काम से प्रेरित होकर आज 10,000 से अधिक स्वयंसेवक ‘शंकर सेना’ के बैनर तले कार्यरत हैं। ये लोग पूरे जिले में घायल जानवरों, सांपों और पक्षियों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हैं। बाबा कहते हैं, “यह सिर्फ मेरा काम नहीं है, यह एक समुदाय की पहल है जो हर जीवन को महत्वपूर्ण मानता है — चाहे वह मानव हो या जानवर।”
सरकारी सहयोग की दरकार
शंकर बाबा ने अब तक सरकारी अनुदान के बिना ही सब कुछ किया है, लेकिन वह कहते हैं कि अगर थोड़ी सी सहायता मिल जाए, तो वे इस काम को और विस्तार दे सकते हैं। “अगर एक एम्बुलेंस और कुछ संसाधन मिल जाएं, तो मैं सैकड़ों जानवरों की जान बचा सकता हूं,” वह कहते हैं।
शंकर बाबा की कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची सेवा न जाति देखती है, न धर्म — बस करुणा और समर्पण की जरूरत होती है।