अभी पूरा नहीं हुआ राजाजी का मिशन टाइगर, संख्या बढ़ाने के लिए जल्द होगा अध्ययन – PROJECT TIGER
राजाजी टाइगर रिजर्व में कुछ दिन पहले ही प्रोजेक्ट टाइगर के तहत पूर्व में प्रस्तावित पांचवें और आखिरी टाइगर को लाया जा चुका है. वैसे तो टाइगर रिजर्व में पांच बाघों को लाने की ही पूर्व में अनुमति दी गई थी, लेकिन अभी राजाजी के पश्चिम क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट खत्म होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. इसके पीछे की वजह यह है कि राजाजी टाइगर रिजर्व का पश्चिमी हिस्सा काफी बड़ा है और इसमें 40 से ज्यादा बाघों के सर्वाइवल की संभावना है.
उत्तराखंड वन विभाग अब राजाजी टाइगर रिजर्व में यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि पश्चिमी हिस्से में लाए गए पांच टाइगर्स क्या भविष्य में बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए काफी होंगे या फिर दूसरे हिस्से से कुछ और बाघों को यहां लाने की जरूरत होगी. वैसे राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में इस वक्त 52 बाघ रिकॉर्ड में हैं. उधर पश्चिमी हिस्सा इससे बड़ा होने के अलावा मानवीय जनसंख्या के लिहाज से भी पूर्वी उस के मुकाबले बेहतर है. यानी यहां आसानी से 40 से ज्यादा बाघ सर्वाइवल कर सकते हैं.
इस तरह इस क्षेत्र में बाघों का संसार बसाने के लिए 5 से 8 बाघों की और जरूरत पड़ सकती है. हालांकि इसकी स्थिति स्पष्ट तभी हो पाएगी, जब वन विभाग इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर अध्ययन के दौरान स्थिति स्पष्ट कर लेगा, तब इस पर फैसला लिया जाएगा. राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में तेंदुओं की भी अच्छी खासी संख्या है. इस तरह दो शिकारी वन्य जीवों के एक साथ सर्वाइवल करने की यहां पर बड़ी चुनौती है. खासकर इसलिए क्योंकि टाइगर्स बेहद कम संख्या में हैं और बड़ी संख्या में मौजूद तेंदुए टाइगर्स की ब्रीडिंग के बाद इनके बच्चों के लिए मुसीबत बन सकते हैं.
उत्तराखंड के ही कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से वन विभाग ने टाइगर्स को राजाजी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया है. भविष्य में भी यदि यहां बाघों को शिफ्ट किए जाने की जरूरत पड़ती है तो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जहां पर बाघों की बेहद ज्यादा संख्या होने के कारण काफी दबाव है, वहां से और टाइगर्स लाए जा सकते हैं.