राहुल गांधी ले रहे हैं 2014 के नरेंद्र मोदी की जगह
2024 के लिए राहुल गांधी क्या तैयार हैं. 2024 में नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों ने ही खुद को बदला है. छत्तीसगढ़ के राजपुर जिले में कांग्रेस का 85वां राष्ट्रीय महाधिवेशन हुआ. जिसमें राहुल गांधी ने अपने भावनात्मक पहलू को बताने की कोशिश की. ये वही राहुल गांधी हैं जिनके नीजि जिंदगी और परिवार को लेकर ही बीजेपी उनहें पप्पू से लेकर accidental politician तक कहती है. वहीं राहुल गांधी अब अपनी नीजि जिंदगी और परिवार के साथ आपने भावनात्मक रिश्तो और देश के लिए उनके परिवार द्वरा दिए गए बलिदानों का जिक्र खुले मंच से करते हैं.
बीजेपी एक तरफ राहुल गांधी को शहजादा बतकर उनपर निशानाा साधती है औऱ दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी को चाय वाला बतााकर उनके लिए SYMPATHY बटोरने का काम करती है.
अब राहुल गांधी अपने परिवार और अनुभवों से जुडी बातों का खुुले मंच से जिक्र करते हैं और लोगों को अपनी निजी जिंदगी के बारे में बारे में बताने की कोशिश करते हैं ताकी जो छवी बीजेपी ने उनकी बनाा दी है उसे वो बदल सकें.
इसमें कोई दोहराय नहीं है की 2024 में नरेंद्र मोदी को अगर टक्कर देनी है तो उसके लिए कांग्रेस को अपने नेता की छवी को सुधारने की जरूरत है.
इसी के चलते राहुल गांधी के भाषण अब नरेंद्र मोदी से ज्याादा उनके बारे में होते हैं. रविवार को हुए महाधिवेशन में भी यही देखने को मिला. जिन राहुल गाांधी के भाषणों में पहले मोदी हुआ करते थे. उन्हीं भाषणों में अब वो खुद हुआ करते हैं. राहुल गांधी ने रविवार को कहा की उनका कोई घर नहीं है. कैसे 6 साल की उम्र में उनकी मां ने उन्हें बताया की जिस घर में रह रहे हैं वो घर उनका नहीं है बल्की सरकार का है और अब कैसे उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूरे देश को अपना घर बनाया है.
राहुल गांधी इससे पहले भी इसी तरह क भावनात्मक बातें अपने भाषणों में कर चुके हैं. भारत जोडो़ .यात्रा के दौरान भी वो अपनी दादी और पिता के हत्या के बारे में बताते हुए भावुक हो गए थे.
ऐसे में नरेंद्र मोदी को अडानी अंबानी जैसे बड़े-बड़े बिजनेसमैन का दोस्त बता कर वो नरेंद्र मोदी को शहजादे की भूमिका में ला रहे हैं और खुद गरीब मजलूम किसानों से जुड़ कर उनकी बात कर वो खुद को 2014 के नरेंद्र मोदी की जगह रख रहे हैं.
हलांकी सिर्फ इतना ही काफी नहीं है 2024 में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को काउन्टर करने के लिए. बीजेपी की लोकप्रियता सिर्फ नरेंद्र मोदी के होने से ही नहीं है. बल्की हिंदुत्व और कट्टरता उसका एक जरूरी हिस्साा है. ऐसे में कांग्रेस सेक्युलरिस्म के रास्ते बीजेपी की राजनीति को कितनाा काउंटर कर पाएगी ये वकत ही बताएगा.
वैसे कांग्रेस 50 साल से कम उम्र के युवओं को भी पार्टी मेंं जरूरी जिम्मेदारियां दे रही हैै. अब तो सोनिय गांधी ने भी राजनीति से सन्यास लेने के संकेत दे दिए है.
बहरहाल भारत जोड़ो यात्रा के बाद से कांग्रेस मेंं एक नई ऊर्जा जरूर भरी है… लेकिन ये ऊर्जा वोट शेयर में तबदील होती है या नहीं ये देखने वाली बात होगी.