हरिद्वार में मनरेगा घोटाले का खुलासा, 82 मेट हटाए गए, 50 अधिकारियों को नोटिस
हरिद्वार ज़िले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत फर्जीवाड़े के बड़े मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। चार ब्लॉकों में तैनात 82 मेटों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है, जबकि 50 ग्राम विकास अधिकारियों (VDO) और रोजगार सेवकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब एक प्रमुख अखबार की रिपोर्ट में मनरेगा कार्यों में बड़े स्तर पर धांधली का खुलासा किया गया। जांच में पाया गया कि पोर्टल पर जिन मजदूरों की फोटो अपलोड की गई थी, वे कई स्थानों पर एक जैसी थीं। कई तस्वीरों में मजदूर गर्म कपड़ों में नजर आए जबकि मौसम गर्मी का था, और कई फोटो में वे औजारों के बिना खड़े थे। इससे साफ़ संकेत मिला कि ग्राउंड पर कार्य नहीं हुआ था और केवल कागज़ी खानापूर्ति करके मजदूरी निकाली जा रही थी।
9 मई को जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद चार ब्लॉकों – नारसन, रुड़की, खानपुर और बहादराबाद – में कार्यरत 82 मेटों को हटाया गया। साथ ही 50 अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। प्रशासन की इस कार्रवाई से साफ़ हो गया है कि मनरेगा के नाम पर लंबे समय से फर्जीवाड़ा किया जा रहा था।
इस बीच, मनरेगा के पोर्टल पर श्रमिकों की मांग में अचानक गिरावट देखी गई है। मंगलवार शाम तक ज़िले की किसी भी ग्राम पंचायत से मजदूरों की नई मांग नहीं आई, जिससे संदेह और गहरा गया है कि पहले के अधिकतर मस्टररोल (काम के आदेश) फर्जी थे।
कुछ अधिकारियों ने दावा किया है कि कई मस्टररोल शून्य कर दिए गए हैं, जबकि मुख्य विकास अधिकारी (CDO) वेद प्रकाश ने कहा कि ऐसी स्थिति में श्रमिकों की मांग अचानक कम नहीं हो सकती। वे इस विषय पर विस्तृत जांच करवा रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने ग्रामीण रोजगार योजना की पारदर्शिता और जमीनी स्तर पर उसके क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।