पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में गर्मी की छुट्टियों में बच्चों से अपने हुनर को निखारने को कहा
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मन की बात की. उनके इस चर्चित कार्यक्रम का आज 120वां एपिसोड है. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी अपने मन की बात करते हैं. इस दौरान वह देश की प्रगति में सहायक लोगों की प्रेरणादायक बातों को साझा करके युवाओं को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं. उनके इस कार्यक्रम को लोग देश विदेश में तन्मयता से सुनते हैं.मन की बात के 120वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. इसी दिन से भारतीय नववर्ष भी शुरू हो रहा है. इसी दिन विक्रम संवत 2082 की भी शुरुआत हो रही है. देशवासियों को चैत्र नवरात्रि की बधाई दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘गर्मियों के दिन लंबे होते हैं और बच्चों के पास इस दौरान करने के लिए बहुत कुछ होता है. यह समय अपने हुनर को निखारने के साथ-साथ कोई नया शौक पालने का भी है. इन छुट्टियों में आपके पास स्वयंसेवी गतिविधियों और सेवा कार्यों से जुड़ने का भी अवसर है. अगर कोई संगठन, स्कूल या सामाजिक संस्था या विज्ञान केंद्र ऐसी ग्रीष्मकालीन गतिविधियों का आयोजन कर रहा है, तो उसे माय हॉलिडे के साथ जरूर शेयर करें.’
पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछले 7-8 वर्षों के दौरान नवनिर्मित टैंकों, तालाबों और अन्य जल पुनर्भरण संरचनाओं के माध्यम से 11 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक पानी संरक्षित किया गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि 11 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी कितना होता है? गोविंद सागर झील में 9-10 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक पानी संरक्षित नहीं किया जा सकता है.’उन्होंने आगे कहा, ‘योग दिवस आने में अब 100 दिन से भी कम समय बचा है. अगर आपने अभी तक योग को अपने जीवन में शामिल नहीं किया है तो अभी करें, अभी भी देर नहीं हुई है. पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 10 साल पहले 21 जून 2015 को मनाया गया था.
अब यह दिन योग के एक भव्य उत्सव का रूप ले चुका है. योग दिवस 2025 की थीम ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग’ रखी गई है. हम योग के माध्यम से पूरी दुनिया को स्वस्थ बनाना चाहते हैं.’
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे गांवों के लोग और खासकर आदिवासी समुदाय महुआ के फूलों के महत्व को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में महुआ के फूलों से कुकीज बनाई जा रही हैं. मध्य प्रदेश के राजाकोह गांव की चार बहनों के प्रयासों से महुआ के फूलों से बनी कुकीज बहुत लोकप्रिय हो रही हैं. तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में भी दो बहनों ने महुआ के फूलों के साथ एक नया प्रयोग किया है.’