महेंद्र भट्ट फिर बनेंगे उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष, निर्विरोध नामांकन दाखिल
देहरादून, जून 2025: उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में एक बार फिर महेंद्र भट्ट का नाम सामने आया है। बुधवार को पार्टी कार्यालय में अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया के दौरान केवल महेंद्र भट्ट ने ही अपना नामांकन दाखिल किया, जिससे यह तय हो गया कि वे दूसरी बार भी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद संभालेंगे।
नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उनके साथ उपस्थित थे, जो इस बात का संकेत है कि पार्टी नेतृत्व का भी उन्हें पूरा समर्थन प्राप्त है।
▶️ राजनीतिक करियर की प्रमुख झलकियां
महेंद्र भट्ट ने 30 जुलाई 2022 को पहली बार उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष का पदभार संभाला था। उन्होंने मदन कौशिक की जगह यह जिम्मेदारी ली थी। इससे पहले वह 2002 में नंदप्रयाग विधानसभा सीट से विधायक बने थे। हालांकि 2007 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2017 में उन्होंने बदरीनाथ विधानसभा सीट से जीत दर्ज की, लेकिन 2022 में इस सीट से उन्हें पुनः पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें अध्यक्ष बनाया और हाल ही में 2 अप्रैल 2024 को राज्यसभा सांसद के रूप में भी भेजा गया।
▶️ राजनीतिक सफर की शुरुआत और संगठनात्मक अनुभव
महेंद्र भट्ट का जन्म वर्ष 1971 में चमोली जिले के ब्राह्मण थाला गांव में हुआ था। उन्होंने 1991 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के साथ राजनीति में कदम रखा। 1991 से 1996 तक वे एबीवीपी के सहसचिव और 1994 से 1998 तक टिहरी विभाग के संगठन मंत्री रहे।
1998 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश सचिव बनाया गया। इसके बाद 2000 से 2002 तक वे भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश महासचिव और 2002 से 2004 तक प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। यही वह समय था जब उन्हें पहली बार विधानसभा चुनाव में उतारा गया और वे विधायक बने।
▶️ अन्य जिम्मेदारियां और योगदान
महेंद्र भट्ट को पार्टी और सरकार में कई अहम समितियों और बोर्डों का सदस्य भी नियुक्त किया गया है, जिनमें चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की प्राकलन समिति, आश्वासन समिति, पलायन समिति और आवास समिति शामिल हैं।
▶️ भविष्य की दिशा
भाजपा के लिए महेंद्र भट्ट एक मुखर, सक्रिय और जमीनी नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी सांगठनिक क्षमता और लंबे राजनीतिक अनुभव को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है।
अब जब वह निर्विरोध चुने जा रहे हैं, तो पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन के बीच यह माना जा रहा है कि आगामी चुनावी रणनीतियों और सांगठनिक मजबूती में उनकी भूमिका अहम होगी।