केदारनाथ की सुरक्षित यात्रा कराएगा डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क ‘इंट्रानेट’, जानें इसकी खासियत – CHARDHAM YATRA 2025
उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री धामों के कपाट खुलेंगे. आज से बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. भैरवनाथ की पूजा के साथ बाबा केदारनाथ की चल विग्रह डोली धाम के लिए रवाना हो गई है. 2 मई को केदारनाथ के कपाट भी अगले 6 महीने के लिए खुल जाएंगे. इस बार केदारनाथ की सुरक्षित यात्रा के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं.
केदारनाथ यात्रा में सुरक्षा यंत्र: देश-विदेश से केदारनाथ धाम की यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुरक्षित यात्रा प्रदान कराने को लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. पैदल मार्ग में इस बार तीर्थयात्रियों को जगह-जगह लगे साइन बोर्ड अपनी ओर आकर्षित करेंगे. ये साइन बोर्ड जहां नीले कलर के हैं, वहीं इनके नीचे एक बॉक्स लगा है, जो पीला और नीले कलर का है. इसमें फोन का चित्र भी बना हुआ है.
2 मई को खुल रहे हैं केदारनाथ के कपाट: दो मई को बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने जा रहे हैं. तीर्थयात्रियों के स्वागत में जिला प्रशासन की टीम के साथ ही स्थानीय लोग और व्यापारी तैयार हैं. आज ओंकारेश्वर मंदिर से बाबा की डोली हिमालय के लिए रवाना हो गई है. जिला प्रशासन की ओर से इस बार आपात स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. केदारनाथ यात्रा पड़ावों में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस की टीमें तैनात हैं. डीएम सौरभ गहरवार की पहल से यात्रा मार्ग पर अपना इंट्रानेट स्थापित किया गया है. यह आपात स्थिति के साथ ही अन्य समस्याएं होने पर तीर्थयात्रियों के लिए मददगार होगा.
इंट्रानेट करेगा हर समस्या का समाधान: अक्सर देखा जाता है कि केदारनाथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को कई बार आपात जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है. जैसे अचानक से पहाड़ी से पत्थर गिर जाते हैं या तीर्थयात्रियों के साथ घोड़ा-खच्चर वाले बदसलूकी करते हैं. इसके अलावा अन्य भी समस्याएं तीर्थयात्रियों को होती हैं. इन स्थितियों से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने केदारनाथ पैदल मार्ग पर डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क (डीडीआरएन) नाम से अपना इंट्रानेट स्थापित किया है, जिसे जगह-जगह लगाया गया है.
यात्रा मार्ग पर लगे नीले कलर के साइन बोर्ड पर दर्शाया गया है कि-
आपातकालीन स्थिति में यंत्र का बटन दबायें और आपदा कंट्रोल रूम को सूचना दें. इस साइन बोर्ड के नीचे एक बॉक्स है, जो नीले और पीले कलर का है. इसमें फोन का चित्र भी चस्पा किया गया है. तीर्थयात्री केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान इन यंत्र का प्रयोग कर सकते हैं.
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार ने कहा कि-
आपदा के लिहाज से अति संवेदनशील रुद्रप्रयाग जिले में मजबूत नेटवर्क स्थापित किया गया है, जो हर परिस्थिति में साथ देने में सक्षम रहेगा. डीएम ने बताया कि जिला प्रशासन ने स्वयं का अपना इंट्रानेट स्थापित किया है. इस नेटवर्क की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये किसी भी प्रकार की आपदा या अन्य विकट परिस्थितियों में साथ नहीं छोड़ेगा. अन्य नेटवर्क के मुकाबले यह काफी लाभकारी साबित होगा. पैदल मार्ग पर कोई भी घटना होने पर यह नेटवर्क काम करता रहेगा. तीर्थयात्री इस यंत्र से समस्या को बता सकते हैं.
-डॉक्टर सौरभ गहरवार, डीएम, रुद्रप्रयाग-
डीएम ने बताया कि इस इंट्रानेट को सुरक्षित जगहों पर लगाया गया है. आपदा की दृष्टि से रुद्रप्रयाग जिला अति संवेदनशील है. समय-समय पर यहां आपदाएं आती रहती हैं. ऐसी आपदाओं से निपटने और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में यह नेटवर्क काफी लाभकारी होगा.

प्रशासन का इंट्रानेट देगा साथ: प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली ने कहा कि केदारनाथ धाम की यात्रा काफी कठिन यात्रा है. इस पैदल मार्ग पर यात्रा करते समय बहुत सारी घटनाएं हो जाती हैं, जबकि आपदाएं भी आती रहती हैं. मौसम विभाग की ओर से इस बार पहले ही सचेत किया गया है. ऐसे में जिला प्रशासन का यह इंट्रानेट सिस्टम काफी लाभकारी साबित होगा.
टोकन के जरिये होंगे दर्शन: केदारनाथ धाम में इस बार यात्रियों को लम्बी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा. इसके लिए टोकन सिस्टम लागू किया जाएगा. यात्री टोकन में दिए गये समय के अनुसार ही दर्शन कर पाएंगे. साथ ही यात्रियों को ठंड से बचाने के लिए रेन शेल्टर बनाये गये हैं.
कहां कहां बनाये गये हैं स्वास्थ्य केंद्र: यात्रियों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए पिछली बार की तरह इस बार केदारनाथ, केदारनाथ बेस कैम्प, लिंचोली, छोटी लिंचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगल चट्टी, गौरीकुण्ड और सोनप्रयाग में स्वास्थ्य केंद्र बनाये गये हैं. यहां आवश्यक उपकरण, चिकित्सक, फार्मासिस्ट और आवश्यक दवाई हर समय उपलब्ध रहेगी. साथ ही सभी केंद्रों पर ऑक्सीजन की भी सुविधा मिलेगी.
यात्रियों की समस्या और शिकायत के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट रहेंगे तैनात: रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ धाम तक यात्रियों की समस्या सुनने और निराकरण के लिए प्रत्येक दो से तीन किमी के दायरे में प्रशासन की ओर से सेक्टर और सब सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किये गये हैं. इसके अलावा पीआरडी और होमगार्ड के जवान भी नियुक्त किये गये हैं.
सुरक्षा के पुख्ता उपाय: उत्तराखंड के चार धामों में सबसे कठिन पैदल यात्रा केदारनाथ की है. केदारनाथ का आपदाओं से भी गहरा नाता रहा है. 16-17 जून 2013 की आपदा के बाद समय समय पर यहां आपदाएं आती रही हैं. पिछले वर्ष 31 जुलाई को आयी आपदा में रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने त्वरित राहत और बचाव कार्य करते हुए हजारों यात्रीयों की जान बचायी थी. आपदा में ध्वस्त यात्रा मार्ग को शीघ्र खोलकर एक माह से कम समय में यात्रा शुरू कर दी थी. आपदा और यात्रियों की परेशानी के मद्देनजर प्रशासन की ओर से पैदल यात्रा मार्ग पर जगह जगह और केदारनाथ धाम और मुख्य यात्रा पड़ावों पर एसडीआरएफ, एनडीआरीफ, डीडीआरएफ के अलावा पुलिस, पीआरडी और होमगार्ड के जवान तैनात किये गये हैं. ये लोग हर समय यात्रियों की सुरक्षा में तैनात रहेंगे.
सीसीटीवी कैमरों से रहेगी यात्रा पर नजर: केदारनाथ यात्रा मार्ग सहित पैदल मार्ग और केदारनाथ हाईवे पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. इन कैमरों के जरिये यात्रा पर पैनी नजर रहेगी. इसके अलावा जिला मुख्यालय में यात्रा कंट्रोल रूम स्थापित है. जहां से यात्रा की हरेक गतिविधि का संचालन होगा. केदारनाथ धाम के लिये जिन हेलीपैड से विमान उड़ान भरेंगे उनकी भी सीसीटीवी कैमरों के जरिये निगरानी रहेगी.