उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं पर सियासत तेज, पूर्व सीएम हरीश रावत और मंत्री धन सिंह आमने-सामने
देहरादून।
उत्तराखंड में सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। एक ओर जहां स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती के दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इन दावों को जमीनी हकीकत से कोसों दूर बताया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्वास्थ्य मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि “धन सिंह जी, जिला अस्पतालों और उप-जिला अस्पतालों की बात तो छोड़िए, बेस हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेजों तक में डॉक्टरों की भारी कमी है। आज ये अस्पताल रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं।” उन्होंने कहा कि पहले लोग सलाह दिया करते थे कि हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याओं के लिए अल्मोड़ा के जिला अस्पताल के पास रहें ताकि समय पर विशेषज्ञ चिकित्सा मिल सके, लेकिन अब ये सपना मात्र बनकर रह गया है।
हरीश रावत के बयान पर पलटवार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों को पहली बार स्थायी फैकल्टी मिली है और डॉक्टरों के रिक्त पदों को भरा जा रहा है। इसके साथ ही बैकलॉग पदों की भी भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
मंत्री रावत ने यह भी बताया कि वर्तमान सरकार में अब तक करीब 15,000 हेल्थ वर्कर्स की नियुक्ति हो चुकी है, जिनमें डॉक्टर, नर्सिंग अधिकारी, सीएचओ, फार्मासिस्ट, टेक्नीशियन और एएनएम शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर कांग्रेस सरकार के समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के विकास पर ध्यान दिया गया होता, तो आज स्थिति कहीं अधिक बेहतर होती।
इस बयानबाजी से साफ है कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत और दावों के बीच गहरी खाई है, जिसे लेकर राजनीतिक संग्राम और तेज होता जा रहा है।